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प्रश्न :
हाल ही में चर्चा में रहे सोलर रेडिएशन मैनेजमेंट से आप क्या समझते हैं, इसके संभावित नकारात्मक परिणामों पर चर्चा कीजिये।
22 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
• परिभाषा
• क्रियाविधि
• नकारात्मक प्रभाव
• निष्कर्ष
सोलर जियो इंजीनियरिंग अथवा सोलर रेडिएशन, जियो इंजीनियरिंग की एक शाखा है। वस्तुत: इसे जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये प्राकृतिक प्रणाली में जानबूझकर व्यापक स्तर पर किये गए हस्तक्षेप के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा दो तरीकों से किया जा सकता है- पहले तरीके के तहत वायुमंडल से कार्बनडाई आक्साइड को कम किया जाता है जिसे सीडीआर भी कहा जाता है। दूसरे तरीके जिसे सोलर रेडिएशन मैनेजमेंट कहा जाता है। इसमें वे तकनीकें शामिल हैं, जो सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली ऊर्जा को परावर्तित करके ग्रीनहाउस गैसों के कारण पृथ्वी के तापमान से हो रही वृद्धि को रोकने में सहायता करती है।
क्रियाविधि के आधार पर इसे निम्नलिखित भागों में बाँटा जाता है:
- एल्बिडो में वृद्धि करने वाली तकनीक
- स्पेस रिफ्लेक्टर तकनीक
- समताप मंडल में एयरोसॉल स्प्रे
उपर्युक्त तकनीकों को अभी तक व्यावहारिक स्तर पर प्रयोग में नहीं लाया गया है। लेकिन सभी प्रस्तावित दृष्टिकोणों में सकारात्मक परिणामों के साथ पर्यावरण एवं मानव दोनों के लिये अनापेक्षित नकारात्मक परिणामों की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
संभावित नकारात्मक परिणाम
- ये तकनीक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी न कर सिर्फ सूर्य से आने वाली ऊर्जा की कुछ मात्रा को परावर्तित करेंगी। इन तकनीकों से पृथ्वी के तापमान केा नियंत्रित करने या कम कर पाने की संभावना भी कम है।
- वायु में लवणयुक्त समुद्री जल का छिड़काव जलचक्र को प्रभावित कर सकता है।
- ये तकनीकें अत्यधिक खर्चीली है, अल्पविकसित तथा विकासशील देशों द्वारा खर्च वहन करना मुश्किल है।
- इनकी भौतिक क्षमता तथा तकनीकी की व्यावहारिक जाँच तथा प्रभाव अभी बाकी है क्योंकि इसकी जाँच बड़ी-बड़ी प्रयोगशालाओं में ही संभव है।
उपरोक्त से स्पष्अ है कि जहाँ एक ओर जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में यह तकनीकी सहायक सिद्ध हो सकती है वहीं दूसरी ओर इसके उपयोग से पहले यह सुनिश्चित किया जाना भी आवश्यक है कि वह समाधान कालांतर में स्वयं समस्या न बन जाए।
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