‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’ में निहित प्रावधानों को भारत में स्थानीय स्वशासन पर इससे पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा करें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’ में निहित प्रावधान
• स्थानीय स्वशासन पर प्रभाव
• निष्कर्ष
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राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की शुरुआत 1 अप्रैल, 2018 को की गई। इस में निम्नलिखित प्रावधान हैं:
- इस योजना का विस्तार देश के सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों तक है।
- योजना में केंद्र तथा राज्य दोनों घटकों को शामिल किया गया है। राज्य सरकारों में केंद्र तथा राज्य की हिस्सेदारी क्रमश: 60:40 के अनुपात में होगी। पूर्वोत्तर तथा पर्वतीय राज्यों में केंद्र-राज्य वित्तपोषण का अनुपात 90:10 होगा। सभी केंद्रशासित प्रदेशों के लिये केंद्रीय हिस्सेदारी 10 प्रतिशत होगी।
- ग्राम स्वराज अभियान ऐसे गाँवों को लक्षित करता है जहाँ दलित तथा जनजातीय लोगों का आधिक्य है। इसका लक्ष्य सामाजिक सौहार्द्र को बढ़ाना, गरीबों हेतु चलाए जा रहे सरकारी कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और उन्हें इन योजनाओं के विषय में परिचित कराना है।
प्रभाव
- इस योजना से ग्राम सभाओं को मजबूती मिलेगी।
- यह योजना राष्ट्रीय, राज्य तथा ज़िला स्तर पर पर्याप्त मानव संसाधन तथा संरचना के साथ पंचायती राज संस्थाओं की सृजन के लिये संस्थापक ढाँचे की स्थापना करेगी।
- पंचायतों को राष्ट्रीय आधार पर प्रोत्साहन देकर मजबूत बनाया जाएगा।
- स्थानीय स्वशासन को मजबूती प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की स्थापना की गई। इसके तहत राष्ट्रीय महत्त्व के उन विषयों को प्राथमिकता दी जाएगी जो वंचित समूहों को प्रभावित करते हैं, जैसे- गरीबी, प्राथमिक, स्वास्थ्य सेवा आहार, टीकाकरण, स्वच्छता, शिक्षा, जल संरक्षण, डिजिटल लेन-देन आदि।
उपरोक्त से स्पष्ट है कि इन योजना द्वारा निश्चित तौर पर उन क्षेत्रों का विकास हो सकेगा जिनको पंचायती राज व्यवस्था का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया है। साथ ही उन वर्गों को भी मुख्य धारा से जोड़ा जा सकेगा जो वंचना या किसी भी तरह के भेदभाव के शिकार हैं।