‘किसी भी काल की चित्रकला न सिर्फ तत्समय के लोगों के चित्रकला की ज्ञान को दर्शाती है अपितु यह तत्कालीन समाज का भी प्रतिबिंब होती है।’ कथन के संदर्भ में पुरापाषाणकालीन चित्रकला पर प्रकाश डालिये।
17 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • कथन के पक्ष में तर्क • निष्कर्ष में कथन का समर्थन |
किसी भी काल की चित्रकला न सिर्फ लोगों का चित्रकला के प्रति ज्ञान तथा रुचि का प्रदर्शन है अपितु यह तत्कालीन सामाजिक जीवन तथा सांस्कृतिक पहलुओं का भी प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है। पुरापाषाणकालीन संस्कृति का उदय प्लीस्टोसीन युग में हुआ। पुरातत्वविद के अनुसार, पुरापाषाणकाल की अवधि बीस लाख वर्ष पूर्व से बारह हज़ार वर्ष पहले तक रही होगी।
इस युग में मनुष्य खेती नहीं करता था बल्कि पत्थरों का प्रयोग कर शिकार करता था। लोग गुफाओं में रहते थे। ऐसा अनुमान है कि इस युग का अंत होते-होते जलवायु में परिवर्तन होने लगा तथा धीरे-धीरे तापमान में वृद्धि हुई होगी। इस युग का मनुष्य चित्रकारी करता था। इसका प्रमाण उन गुफाओं से मिलता है, जहाँ वह निवास करता था।
इस काल की चित्रकारी में गुफाओं में पशुओं एवं फल-फूलों का चित्रण किया गया है। भीमबेटका, जो कि विंध्य क्षेत्र में स्थित है, इस काल की सबसे पुरानी चित्रकला की प्राप्ति का स्रोत है। उत्तर पुरापाषाणकाल में लाल तथा हरे रंगों के प्रयोग से जानवरों का चित्र बनाना इस काल के लोगों के रंगों के प्रयोग की समझ को दर्शाता है।
गुफाओं से मिले चित्रों से पता चलता है कि शिकार जीवनयापन का प्रमुख साधन था। इन चित्रों में बने शारीरिक संरचना के आधार पर स्त्री तथा पुरुष के मध्य सरलता से भेद किया जा सकता है। इन सबके अतिरिक्त इस काल की चित्रकला से यह भी पता चलता है कि पुरापाषाण के लोग छोटे-छोटे समूहों में निवास करते थे तथा भोजन के लिये वे पशुओं तथा पेड़-पौधों पर निर्भर था। इस काल की चित्रकला से आर्थिक गतिविधियों के संदर्भ में पता चलता है कि लोग शिकारी तथा संग्रहकर्त्ता के रूप में जीवनयापन करते थे।