एमएसएमई विकासशील देशों, विशेषकर भारत में कृषि एवं कृषि-संबद्ध क्षेत्र के बाद एकमात्र दूसरा महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जो उद्यमिता, रोज़गार, स्वरोज़गार के नए अवसरों का सृजन करता है। भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में एमएसएमई क्षेत्र की भूमिका को स्पष्ट करते हुए इसके उत्थान के लिये भारत सरकार द्वारा लाई गई प्रमुख योजनाओं के बारे में बताएँ।
28 Nov, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
एमएसएमई के महत्त्व को उजागर करते हुए उत्तर प्रारंभ करें, जैसे-
विश्व बैंक के अनुसार, औपचारिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कुल रोज़गार का 60 प्रतिशत तथा सकल घरेलू उत्पाद (राष्ट्रीय आय) का लगभग 40 प्रतिशत तक योगदान देता है।
विषय-वस्तु के पहले भाग में हम एमएसएमई क्षेत्र की भूमिका को स्पष्ट करेंगे-
विगत पाँच दशकों के दौरान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों ने (MSME) अपनी निरंतर प्रगति से भारत के सतत् आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ-साथ समावेशी सामाजिक आधारशिला को मज़बूत करने का कार्य किया है।
भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में एमएसएमई क्षेत्र की भूमिका-
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम एमएसएमई क्षेत्र के उत्थान हेतु भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं के बारे में बताएंगे, जैसे-
भारत में एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने और विकसित करने की ज़िम्मेदारी मुख्य राज्य सरकारों की है। परंतु भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र के योगदान और भविष्य के अवसरों के मद्देनजर भारत सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र को बेहतर दिशा एवं स्थिति प्रदान करने के लिये अनेक नीतिगत पहले शुरू की हैं। इसके तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम विकास अधिनियम, 2006 में उद्यम की अवधारणा को विस्तृत करते हुए विनिर्माण एवं सेवा दोनों क्षेत्रों को शामिल किया गया। अन्य प्रमुख योजनाएँ हैं-
1. प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम और अन्य क्रेडिट सहायता योजना
2. खादी, गाँव और कॉयर उद्योगों के विकास हेतु योजनाएँ
3. प्रौद्योगिकी उन्नयन और गुणवत्ता प्रमाणन
4. विपणन प्रोत्साहन योजनाएँ
5. उद्यमिता एवं कौशल विकास कार्यक्रम
6. बुनियादी ढाँचा विकास कार्यक्रम
एमएसएमई क्षेत्र के समुचित उत्थान हेतु महत्त्वपूर्ण पहल-
क्लस्टर विकास कार्यक्रम, सौर चरखा मिशन, डिजिटल एमएसएमई स्कीम, स्फूर्ति, ‘उद्यम सखी’ पोर्टल आदिA
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें, जैसे-
एमसएमई क्षेत्र उत्पादन, निर्यात और रोज़गार सृजन के मामले में देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ‘मुद्रा’, ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ इत्यादि प्रयास एमएसएमई क्षेत्र को नई दिशा की ओर बढ़ाते हैं। हम पाते हैं कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हेतु घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये भारतीय रक्षा खरीद नीति, 2018 के मसौदे में एमएसएमई और स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया गया है। हालाँकि अनौपचारिक व अपंजीकृत सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करना चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। चौथी औद्योगिक क्रांति के तहत क्लाउड कंप्यूटिंग और बिग डाटा एनालिटिक्स के साथ-साथ इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) की व्यापक उपयोगिता भारत में एमएसएमई क्षेत्र को नई दिशा देने में सहायक होगी।