उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• संक्षिप्त परिचय
• गर्भपात के पक्ष में तर्क
• गर्भपात के विपक्ष में तर्क
• निष्कर्ष
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गर्भपात से आशय विभिन्न चिकत्सकीय साधनों के माध्यम से गर्भ का सुरक्षित समापन है। अवांछित गर्भ से माता के जीवन पर खतरा तथा कुछ स्थितियों में गर्भपात कराना कानूनी रूप से उचित तथा चिकित्सीय रूप से आवश्यक समझा जाता है। किंतु इससे संबंधित कुछ नैतिक चिंताएँ भी देखने को मिलती है, जैसे-
- क्या माँ से अलग भ्रूण का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है?
- अपने शरीर के संदर्भ में किसी स्त्री द्वारा लिया गया निर्णय कहाँ तक विस्तारित माना जाए?
- क्या किसी अवांछनीय बच्चे को जन्म देना उचित है?
- इस संदर्भ में धार्मिक तथा मानव अधिकार कितने स्पष्ट हैं?
गर्भपात के पक्ष में तर्क
- क्योंकि भ्रूण या अजन्मे बच्चे को मानव व नैतिक अधिकार प्राप्त नहीं है। अत: इस मामले का निस्तारण विवाद का विषय नहीं होना चाहिये।
- एक महिला को अपने शरीर के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिये और यह उस पर पूर्णत: निर्भर करता है कि वह गर्भपात कराए या न कराए।
- जिस प्रकार गर्भ रोकने के अग्रिम साधनों को वैध माना गया है उसी प्रकार गर्भपात को भी वैधता प्रदान करनी चाहिये।
- कुछ मामलों में बच्चों को जन्म देना व्यावहारिक नहीं होता, जैसे- वित्तीय दबाव, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जन्म में जान का जोखिम होना, विकलांगता, ऐसी स्थिति में ज्यादा व्यवहार्य यह है कि गर्भपात का अधिकार प्रदान किया जाए।
गर्भपात के विपक्ष में तर्क
- जब भ्रूण को एक जीवित व्यक्ति के रूप में देखा जाता है तो गर्भपात विधिक तथा मानवीय दृष्टिकोण से अनुचित ठहरता है।
- गर्भधारण को मात्र रुचि का मामला मानने से व्यक्ति के वस्तु में परिवर्तित होने की समस्या उत्पन्न होती है।
- गर्भपात का इस आधार पर चयन करना कि भ्रूण सामान्य नहीं है, दिव्यांगता के प्रति हमारे दुराग्रह को दर्शाता है।
उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि गर्भपात से संबंधित जटिल प्रश्नों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। ऐसा करने की अनुमति देने अथवा न देने से पहले सभी हितधारकों को शामिल किया जाना जरूरी है तथा सभी पक्षों को समझाते हुए एक सुविचारित तथा सर्वमान्य गति बनाने की आवश्यकता है।