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प्रश्न :
क्या कारण है कि पूर्वी घाट भारत के सर्वाधिक निम्नीकृत पारिस्थितिक में से एक है। निम्नीकरण के प्रभाव की चर्चा करते हुए इसे कम करने हेतु किये जाने वाले उपायों की चर्चा करें।
14 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• निम्नीकरण के कारण
• निम्नीकरण के प्रभाव
• उपाय
हाल ही में प्रस्तुत एक शोध में कहा गया कि पूर्वी घाट भारत के सर्वाधिक दोहन वाले तथा निम्नीकृत पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार पूर्वी घाट के लगभग 800 स्थानों पर 28 दुर्लभ, लुप्तप्राय तथा संकटग्रस्त प्रजातियों की उपस्थिति दर्ज़ की गई। इन क्षेत्रों में मृदा, भूमि उपयोग, मानवजनित हस्तक्षेप तथा जलवायु परिवर्तन का भी अध्ययन किया गया।
निम्नीकरण के कारण
- एंवायरमेंटल मॉनीटरिंग एंड एसेसमेंट नामक पत्रिका के अनुसार इस क्षेत्र में मानव हस्तक्षेप बढ़ा है।
- जनसंख्या बढ़ने से यहाँ भोजन, सड़क तथा अन्य गतिविधियों के लिये भूमि की मांग में वृद्धि हुई।
- असुरक्षित पर्यटन भी इन प्रजातियों के वितरण को प्रभावित करता है।
- इसके अतिरिक्त पूर्वी घाट क्षेत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने में खनन, शहरीकरण, बांध निर्माण, जलाऊ लकड़ी संग्रहण तथा कृषि विस्तार जैसी मानवीय गतिविधियाँ प्रमुख है।
निम्नीकरण के प्रभाव
- इससे पूर्वी घाट की जैव-विविधता प्रभावित होगी। पुलीकट तथा कोलेरु जैसी झीलें पारिस्थितिक दृष्टि से अतिसंवेदनशील हैं।
- भीतरकनिका जैसे क्षेत्र भी इससे सकारात्मक रूप से प्रभावित होंगे।
- भारत मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय देश है तथा व्यापारिक पवनों के प्रभाव में रहता है, इसलिये गर्मियों के मौसम में यह तट उष्कटिबंधीय चक्रवात से प्रभावित रहता है। इस क्षेत्र का मैंग्रोव आदि वनस्पतियाँ इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से संरक्षण प्रदान करती है। इन वनस्पतियों के निम्नीकरण से इस क्षेत्र के साथ-साथ संपूर्ण भारत पर भी इस प्रकार की आपदाओं का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उपाय:
- विनियामक दिशा-निर्देशों के साथ ‘इको-टूरिज़्म’ को लागू करना पर्यावरण संरक्षण को सुधारने तथा बढ़ावा देने का एक सकारात्मक तरीका है।
- राष्ट्रीय उद्यानों तथा अभयारण्यों की सीमाओं को स्थानिक तथा RET प्रजातियों के आधार पर पुन: परिभाषित किये जाने की आवश्यकता है।
- भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राज्यों के वन विभागों द्वारा पूर्वी घाट के जैव-विविधता संरक्षण पर केंद्रित पहलों की शुरुआत की जानी चाहिये।
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