नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान’ के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार भारत मानसिक अस्वस्थता के गंभीर खतरे की ओर बढ़ रहा है। उक्त कथन की व्याख्या करें तथा इसके निवारण में ‘मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा बिल’ की भूमिका का परीक्षण करें।

    11 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • मानसिक अस्वस्थता को स्पष्ट करें।

    • संबंधित आँकड़ों का उल्लेख करें।

    • ‘मानसिक हेल्थकेयर बिल’ के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख करते हुए इसके महत्त्व को बताएँ। 

    • अंत में कुछ चुनौतियों का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष दें।

    मानसिक अस्वस्थता व्यक्ति के महसूस करने, सोचने एवं काम करने के तरीके को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, जिससे व्यक्ति असामान्य व्यवहार करने लगता है। हाल में किये गए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार भारत के लगभग 150 मिलियन लोग किसी-न-किसी मानसिक समस्या से ग्रस्त हैं। प्रत्येक बीस में से एक आदमी अवसादग्रस्त है। एक प्रतिशत जनसंख्या उच्च जोखिम के चलते अवसादग्रस्त है। यह भारत के मानसिक अस्वस्थता के गंभीर खतरे को दर्शाता है।

    • मानसिक स्वास्थ्य विधेयक, 2016 का उद्देश्य मानसिक रोगियों की स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने जैसे विभिन्न अधिकार प्रदान करना है। इस विधेयक के महत्त्वपूर्ण प्रावधान निम्नलिखित हैं:
    • मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकार- इसके तहत सरकार द्वारा संचालित या वित्तपोषित मानसिक स्वास्थ्य सेवा केंद्रों से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधा प्राप्त करने का अधिकार है।
    • मानसिक रोगी के पास अपने उपचार एवं प्रतिनिधि के संबंध में अग्रिम निर्देश देने का अधिकार होगा, जो चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रमाणित होगा।
    • राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है।
    • आत्महत्या को अपराध के दायरे से बाहर रखा गया है।
    • मानसिक रोगियों कोे भर्ती करने तथा उनके उपचार एवं डिस्चार्ज के लिये प्रक्रिया को निर्दिष्ट किया गया है। 
    • वस्तुत: मानसिक स्वास्थ्य विधेयक मानसिक रोगियों के स्वास्थ्य के लिये अधिकार आधारित दृष्टिकोण है। इसके माध्यम से मानसिक बीमारी एवं अवसाद को सार्वजनिक विमर्श के दायरे में लाना है, जो मानसिक अस्वस्थता के गंभीर खतरे के निवारण में सहायक होगा।

    परंतु इसके प्रभावी होने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे: 

    • मानसिक स्वास्थ्य पर अल्प व्यय, जो कुल स्वास्थ्य बजट का मात्र 0.06% है।
    • मनोचिकित्सकों की कमी, प्रति एक लाख लोगों पर मात्र 3 मनोचिकित्सक उपलब्ध हैं। 
    • अग्रिम निर्देश के प्रावधान से बाधाएँ उत्पन्न होने का खतरा क्योंकि कई मामलों में रोगी तर्कसंगत निर्णय लेेने में असमर्थ होता है।

    अत: उपर्युक्त चुनौतियों को देखते हुए मानसिक स्वास्थ्य हेतु एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है। जिसमें मानसिक स्वास्थ्य विधेयक एक प्रगतिशील एवं क्रांतिकारी भूमिका निभा सकेगा।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow