‘मीमांसा दर्शन तर्कपूर्ण चिंतन, विवेचन तथा अनुप्रयोग की कला है।’ कथन को स्पष्ट करते हुए इस दर्शन के प्रमुख तत्त्वों की चर्चा करें।
11 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति
हल करने का दृष्टिकोण • मीमांसा दर्शन का संक्षिप्त परिचय। • मीमांसा दर्शन के प्रमुख तत्त्वों को लिखते हुए निष्कर्ष दें। |
भारत के छ: आस्तिक दर्शनों में मीमांसा दर्शन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके प्रवर्तक जैमिनी हैं। मीमांसा शब्द का वास्तविक अर्थ तर्क-पूर्ण चिंतन, विवेचन तथा अनुप्रयोग की कला है। यह विचार पद्धति वैदिक साहित्य के भाग रहे संहिता तथा ब्राह्मणों के विश्लेषण पर केंद्रित थी।
पदार्थ विवेचना की चार कोटियाँ मानी गई हैं-
1. प्रमाण: जिसके विषय का निश्चयात्मक ज्ञान हो और विषय का निर्धारण हो।
2. प्रमेय: प्रमाण के द्वारा जिसका ज्ञान हो।
3. प्रमिती: प्रमाण के द्वारा जिस किसी भी विषय का निश्चयात्मक ज्ञान हो।
4. प्रमाता: जो प्रमाण के द्वारा प्रमेय ज्ञान को जानता है।
यद्यपि मीमांसा तर्क-पूर्ण चिंतन को प्रोत्साहित करती है परंतु साथ ही यह समाज में वर्ग विभेद को भी बढ़ावा देती है। चूँकि यह मुक्ति के लिये अनुष्ठानों को आवश्यक मानती है, जिसकी उचित समझ सामान्य लोगों को नहीं होती। अत: उन्हें पुरोहितों की सहायता लेनी पड़ती है, जो कि स्पष्ट रूप से ब्राह्मणाें के वर्चस्व को स्थापित करता है।