यूनेस्को के ‘क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क’ की सूची में चेन्नई को किस रचनात्मक विधा के लिये शामिल किया गया है? चेन्नई की इस रचनात्मक विधा पर विस्तारपूर्वक चर्चा करें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
• एक संक्षिप्त भूमिका लिखें।
• हाल ही में शामिल भारतीय नगर चेन्नई की संगीत कला का उल्लेख करते हुए उस कला की विशेषताओं का उल्लेख करें।
• निष्कर्ष लिखें।
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- यूनेस्को का ‘क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क’ कार्यक्रम एक ऐसी पहल है जिसके अंतर्गत ऐसे शहरों के साथ और शहरों में सहकारिता को बढ़ावा दिया जाता है जिन्होंने रचनात्मकता को धारणीय शहरी विकास के लिये रणनीतिक कारक के रूप में स्वीकार किया है।
- हाल में चेन्नई को इसकी समृद्ध संगीत परंपरा के आधार पर इस नेटवर्क में शामिल किया गया है। इसका आधार कर्नाटक संगीत है। कर्नाटक संगीत की विशेषता इसकी राग पद्धति है जिसकी अवधारणा में पूर्णसंगीत अथवा आदर्श निहित होता है तथा यह अत्यंत विकसित और जटिल ताल पद्धति है जिसने इसे अत्यंत वैज्ञानिक और रीतिबद्ध तथा सभी दृष्टिकोणों से अनूठा बना दिया है।
- कर्नाटक संगीत में हिन्दुस्तानी संगीत के घरानों की तरह ही प्रस्तुतिकरण की शैली में स्पष्ट सीमांकन देखने को नहीं मिलता, फिर भी हमें भिन्न-भिन्न शैलियाँ देखने को मिलती हैं।
- इन शैलियों में शामिल हैं- गीतम, सुलादी, स्वराजाति, जातिस्वरम, वर्णम, कीर्तनम, कृति, पद, जवाली, तिल्लाना, पल्लवी और तनम।
- कर्नाटक संगीत ज़्यादातर भक्ति संगीत के रूप में होता है और अधिकतर रचनाएँ हिन्दू देवी-देवताओं को संबोधित होती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ हिस्सा प्रेम और अन्य सामाजिक मुद्दों को भी समर्पित होता है।
- त्यागराज, मुथुस्वामी दीक्षितार और श्यामा शास्त्री को कर्नाटक संगीत शैली की त्रिमूर्ति कहा जाता है, जबकि पुरंदर दास को अक्सर कर्नाटक शैली का पिता कहा जाता है।
निष्कर्षत: चेन्नई की कर्नाटक शैली में समृद्ध परंपरा समाहित है किंतु इस पर उच्च जातियों का वर्चस्व रहा है। वे ही इसके संरक्षक और दर्शक रहे हैं। कर्नाटक संगीत की चुनौती अपने प्रदर्शन स्थान और उसके संरक्षक को अन्य संगीत रूपों में खोलने और समाज के अन्य वर्गों से कलाकारों और दर्शकों को आकर्षित करने की आवश्यकता है।
अतिरिक्त सूचना:
- यूनेस्को का ‘क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क’ कार्यक्रम वर्ष 2004 में प्रारंभ किया गया था। यह पहल ऐसे शहरों के साथ और शहरों में सहकारिता को बढ़ावा देती है जिन्होंने रचनात्मकता को धारणीय शहरी विकास के लिये रणनीतिक कारक के रूप में स्वीकार किया है। वर्तमान में विश्व भर के 116 शहर इस नेटवर्क का निर्माण करते हैं। इन शहरों ने स्थानीय स्तर पर रचनात्मकता और सांस्कृतिक उद्यमों को अपने विकास कार्यक्रमों के केंद्र में रखा है। साथ ही, ये शहर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
‘क्रिएटिव सिटी नेटवर्क’ के उद्देश्यों को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है:
- संस्कृति और रचनात्मकता को धारणीय विकास कार्यक्रमों से पूर्णत: अंत:संबद्ध करना।
- सांस्कृतिक जीवन में सीमांत या सुभेद्य वर्गों की भागीदारी को बढ़ाना।
- सांस्कृतिक क्षेत्र में रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देना तथा रचनाकारों एवं व्यवसायियों के लिये अवसरों को बढ़ाना।
- सांस्कृतिक गतिविधियों, वस्तुओं एवं सेवाओं की रचना, उत्पादन और वितरण को सुदृढ़ करना।
- वर्ष 2016 में भारत के दो शहरों को यूनेस्को द्वारा ‘क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क’ में शामिल किया गया है। वाराणसी को नेटवर्क के संगीत वर्ग में शामिल किया गया है। वहीं, जयपुर को नेटवर्क के शिल्प एवं लोक कला वर्ग में सम्मिलित किया गया है। हाल ही में (नवंबर, 2017) चेन्नई शहर को इसकी समृद्ध संगीत परंपरा के आधार पर नेटवर्क में सम्मिलित किया गया है।