‘वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक रिपोर्ट-2017’ के अनुसार भारत में रोज़गार सृजन अपर्याप्त रहा है। यह देश में सामाजिक असमानता की खाई चौड़ी करने में कहाँ तक उत्तरदायी है?
23 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण • वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक रिपोर्ट-2017 के आँकड़ों का उल्लेख करें। • अपर्याप्त रोज़गार सृजन के कारण सामाजिक असमानता का उल्लेख करें तथा पर्याप्त रोज़गार सृजन के उपाय बताएँ। • अंत में निष्कर्ष लिखें। |
वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2016 में 17.7 मिलियन लोग बेरोज़गार थे। यह संख्या बढ़कर 2017 में 17.8 मिलियन तथा 2018 में 18 मिलियन हो जाएगी। आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत में रोज़गार का सृजन अपर्याप्त हो रहा है।
अपर्याप्त रोज़गार सृजन के चलते उत्पन्न सामाजिक असमानता की स्थिति के लिये निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं-
अत्यधिक बेरोज़गारी से बेरोज़गार व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में और भी गिरावट आती है, जबकि रोज़गार युक्त व्यक्ति की स्थिति अपेक्षाकृत और अच्छी होती जाती है।
अत्यधिक बेरोज़गारी के कारण वे निम्न भुगतान पर कार्य करने के लिये मज़बूर होते हैं तथा उनकी बार्गेनिंग क्षमता में कमी आती है। फलत: आर्थिक स्थिति में गिरावट आती है।
बेरोज़गार व्यक्ति रोज़गार की तलाश में शहरों की ओर प्रवसन करते है जहाँ पर वे गंदी बस्तियों में रहने को बाध्य होते हैं।
इसके अलावा, संसाधनों का एकत्रण भी कुछ वर्गों तक सीमित रह जाता है जिससे अमीरी एवं गरीबी के अंतराल में वृद्धि होती है तथा सामाजिक असमानता की खाई चौड़ी होती है।
यद्यपि सरकार द्वारा रोज़गार सृजन के लिये कई नीतियाँ एवं कार्यक्रम यथा-मनरेगा, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री रोज़गार प्रोत्साहन योजना, स्टार्टअप एवं स्टैंडअप इंडिया आदि चलाए गए हैं परंतु जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में रोज़गार सृजन अपर्याप्त रहा है।
वस्तुत: सामाजिक असमानता बढ़ाने में बेरोज़गारी एक प्रमुख कारण है। अत: बेरोज़गारी की समस्या से निपटने के लिये निम्नलिखित उपायों पर बल देना चाहिये।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देकर, जो प्रति इकाई अधिक रोज़गार के अवसर प्रदान करते हैं।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देकर जो कि कृषि के अतिरिक्त श्रम बल को आकर्षित कर प्रच्छन्न बेरोज़गारी दूर करने में सहायक है।
कोस्टल एम्प्लॉयमेंट जोन का अधिक-से-अधिक निर्माण कर स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर पैदा करना।
नीति आयोग के अनुसार, स्वैच्छिक बेरोज़गारी से निपटने के लिये नौकरियों में विविधता लाने की आवश्यकता है ताकि इन स्वैच्छिक बेरोज़गारों को उत्पादक गतिविधियों की ओर आकर्षित किया जा सके।
निष्कर्षत: कह सकते हैं कि सामाजिक असमानता के लिये अपर्याप्त रोज़गार सृजन एक प्रमुख कारण है। अत: रोज़गार सृजन के लिये आवश्यक उपायों को अपनाकर समाजिक असमानता की खाई को कम किया जा सकता है।