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प्रश्न :
आज़ादी के 70 सालों के उपरांत भी भारत ऐसी अनेक सामाजिक बुराइयों से जकड़ा हुआ है जो देश के सर्वांगीण विकास में अवरोधक सिद्ध हो रही हैं तथा स्वराज को सु-राज में बदलने की प्रक्रिया मंद है। उक्त संदर्भ में ‘भारत छोड़ो आंदोलन-2’ के निहितार्थ का परीक्षण करें।
21 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
• संक्षिप्त में परिचय दें।
• सामाजिक बुराइयों एवं इसके कारणों पर प्रकाश डालें।
• भारत छोड़ो आंदोलन-2 कैसे इन बुराइयों के उन्मूलन में सहायक होगा तथा स्वराज से सुराज की प्रक्रिया पूर्ण करेगा।
• निष्कर्ष लिखें।
19वीं शताब्दी में शुरू हुए सामाजिक-धार्मिक पुनर्जागरण के फलस्वरूप शिक्षा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं तार्किकता का प्रचार-प्रसार आरंभ हुआ जिससे विभिन्न सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध आवाज उठनी शुरू हुई।
परंतु आज़ादी के सत्तर साल बाद, आज भी भारत कई सामाजिक बुराइयों से जकड़ा है, जैसे- अंधविश्वास, दहेज प्रथा, डायन प्रथा, किसान आत्महत्या, पानी की बर्बादी, भ्रष्टाचार, युवाओं में नशे की समस्या आदि और इसके कारण स्वराज से सुराज की प्रक्रिया मंद पड़ी है।
यदि इन सामाजिक बुराइयों के कारणों पर प्रकाश डालें तो ये निम्नलिखित हैं:
राजनीतिक दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी एवं धार्मिक कट्टरवादी संस्थाओं से गठजोड़।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव एवं तर्क-वितर्क की कमी।
अशिक्षा का प्रसार एवं जागरूकता की कमी आदि।
इन्हीं कारणों का परिणाम है कि आज भी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को हिंसा का शिकार होना पड़ता है तथा उनकी हत्या तक कर दी जाती है। जैसे- पंसारे, दाभोलकर आदि की हत्या।
इसी संदर्भ में महाराष्ट्र सरकार ने भारत छोड़ो आंदोलन-2, ‘स्वराज से सुराज’ आंदोलन शुरू किया है। यह एक जागरूकता आंदोलन है तथा इसमें विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से स्वतंत्रता पर ज़ोर दिया गया। और जनभागीदारी के माध्यम से इन बुराइयों दूर कर सभी मोर्चों पर समावेशी प्रगति प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है जिससे ‘स्वराज से सुराज’ की प्रक्रिया को तीव्र किया जा सके।
निष्कर्षत: कह सकते हैं कि भारत छोड़ो आंदोलन-2 के माध्यम से एक बेेहतर परिणाम देखने को मिलेगा तथा साथ ही, इसे भारत के अन्य भागों में भी शुरू किये जाने की ज़रूरत है।
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