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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हिमस्खलन हिमानी ढालों पर मुख्य आपदा के रूप में दिखाई पड़ता है। इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए इससे होने वाले खतरों को कम करने के उपायों पर चर्चा करें।

    18 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधन

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • हिमस्खलन क्या है? समझाएँ।

    •  यह एक आपदा है, इसके संबंध में तर्क दें। 

    • इसके कारणों का उल्लेख करते हुए इसके प्रभावों को कम करने के संदर्भ में सुझाव दें। 

    • निष्कर्ष।

    पर्वतीय ढालों के सहारे तेजी से हिमराशि और शिलाओं का प्रवाह, हिमस्खलन कहलाता है। ये हिमस्खलन शीत ऋतु में हिमपात और बसंत ऋतु में हिमद्रवण के समय अधिक देखा जाता हैं, जिसके साथ-साथ विशाल मात्रा में मृदा और शैल खंड जैसे अन्य पदार्थ प्रवाहित होते हैं, जो अनेकों बार आपदा का कारण बनते  हैं। 

    हिमस्खलन के कारणः

    • भारी बर्फबारीः जब अस्थिर क्षेत्रों में बर्फ के जमा होने से दबाव बढ़ता है, तो यह हिमस्खलन को जन्म देता है। किसी भी ऊँचे पर्वतीय भागों में भारी बर्फ़बारी या हिमपात होने के कारण पर्वत ढलानों पर बर्फ संचय हो जाता है जिसकी वजह से पर्वत के अस्थिर क्षेत्रों में हिमस्खलन कारक बनता है।
    • बर्फीले तूफान और हवा की दिशा।
    • मानवीय गतिविधियाँः वर्तमान में मानवीय गतिविधियों, जैसे विंटर स्पोर्ट्स वनोन्मूलन, निर्माण कार्य हिमस्खलन की क्रियाविधि को तीव्र करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
    • कम्पन और हलचलः भूकंप, यातायात साधनों की आवाजाही, निर्माण कार्य आदि के कारण भूस्खलन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है। 
    • बर्फ की चादरेंः जब पर्वत पर पहले से बर्फ होती है तो फ्रेश स्नो फाल्स उस पर फिसलता है। अर्थात धीरे-धीरे हिमपात या बर्फ़बारी के कारण पहाड़ों के ढलान पर बर्फ की परत बन जाती है जिसकी वजह से बर्फ से ढके पहाड़ों के ढलान को अतिसंवेदनशील बना देती है।
    • गर्म तापमानः दीर्घ गर्म तापमान ऊपरी बर्फ को पिघला देता है जिससे विशाल बर्फ-शिलाएँ ढाल के सहारे बहती हैं।
    • हिमस्खलन के फलस्वरूप जीवन और सम्पदा की हानि, बाढ़, आर्थिक प्रभाव उत्पन्न होते हैं। अतः इसके खतरों को कम करने के लिये निम्न उपाय किये जा सकते हैंः
    • आपदा और जोखिम मूल्यांकनः जिसके अंतर्गत भौगोलिक सर्वेक्षण के द्वारा मूल्यांकन कर जोखिम क्षेत्रों की मैपिंग करना और उसी के अनुसार मानव गतिविधियों को अंजाम देना। गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से भी हिमस्खलन होता है। यदि पर्वत की ढलानों पर बर्फ़बारी की वजह से स्टीपर ढलान का निर्माण हो जाता है और यही परत दर परत जमी बर्फ बहुत ज्यादा दबाव बढ़ने की वजह से ये परतें खिसक जाती हैं और तेज़ी से नीचे की ओर फ़िसलने लगती हैं।
    • रोकथाम और शमनः इसके अंतर्गत अवलोकन और पूर्वानुमान, सक्रिय हस्तक्षेप, स्थायी हस्तक्षेप, सामाजिक हस्तक्षेप आदि पर ध्यान केन्द्रित कर रोकथाम और शमन के लिये व्यापक रणनीति का निर्माण करना।
    • प्रतिक्रिया और बहाली : हिमस्खलन की स्थिति में प्रतिक्रिया और बहाली के लिये प्रशिक्षित और संसाधन सम्पन्न संगठन का निर्माण।
    •  आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र द्वारा भौगोलिक सूचना प्रणाली एवं उपग्रहीय चित्रों के अध्ययन हेतु सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त प्रयोगशाला की स्थापना की गयी है। केन्द्र द्वारा राज्य के अधिकांश अवस्थापना सुविधाओं को मानचित्रित किया है।
    • आपदा सुरक्षा से संबंधित विभिन्न तकनीकों के स्वैच्छिक अनुपालन के लिये केन्द्र द्वारा इस हेतु फिल्मों, लघु फिल्मों, पुस्तिकाओं का विकास किया गया है जिन्हें लोगों तक पहुँचाया जा रहा है। इनका वितरण विद्यालयों व स्थानीय मेलों व अन्य कार्यक्रमों में किया जाता है।
    • केंद्र द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियों के प्रचार-प्रसार के साथ ही जन-जागरूकता हेतु त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है।

    निष्कर्षतः अनियोजित विकास, वनों का अवैध कटान अत्यधिक खनन, नियमों के विपरीत नदी किनारे व सड़कों के किनारे अवैध निर्माण कार्य आपदा को बढ़ाने में सहायक होता है। हमें यह बात भली-भाँति समझने की आवश्यकता है कि प्रकृति के साथ संवेदनशील सामंजस्य बनाकर ही संतुलित विकास किया जा सकता है। इससे मानव तथा पर्यावरण दोनों की सुरक्षा हो सकेगी।

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