"डिजिटल इंडिया" अभियान, डिजिटली सशक्त समाज का विकास करने के साथ-साथ सरकारी विभागों और भारत के नागरिकों को डिजिटल रूप से एकीकृत करने में सक्षम है?’ टिप्पणी करें।
16 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी
हल करने का दृष्टिकोणः • डिजिटल इंडिया अभियान के उद्देश्य। • अभियान के लक्ष्य। • इस अभियान के तहत विकास के नौ चिह्नित स्तंभ। • चुनौतियाँ क्या हैं? • निष्कर्ष। |
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज व ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित करने के उद्देश्य से डिजिटल इंडिया कार्यक्रम शुरू किया गया। यह एक विस्तृत एवं समग्र कार्यक्रम है, जिसे सभी राज्य सरकारों ने लागू किया है और इसके संयोजन की ज़िम्मेदारी इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को दी गई है। इस अभियान के तहत नागरिकों को तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनाने, सरकारी सेवाओं को डिजिटल माध्यमों से जनता तक पहुँचाने, सूचना तकनीक और दूरसंचार के क्षेत्र में व्यापक आधारभूत ढाँचे का विकास करने तथा विभिन्न विभागों व मंत्रालयों की डिजिटल सेवाओं को आपस में जोड़ने पर बल दिया जा रहा है। इसको भारत की राजनैतिक-सामाजिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था के साथ-साथ देश की जनता को ज्ञान आधारित भविष्य की ओर ले जाने के महत्त्वाकांक्षी प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों में देश में व्यापक स्तर पर आधारभूत डिजिटल सेवाओं का विकास, जनता को इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सरकारी सेवाएँ तथा प्रशासनिक सुविधाएँ हर समय उपलब्ध कराना (ऑन डिमांड सुविधाएँ) और भारतीय नागरिकों को तकनीकी दृष्टि से सक्षम एवं सबल बनाना शामिल है। इसके माध्यम से देश की 1.2 अरब जनसंख्या को ई-प्रशासन, ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा और ई-बैंकिंग जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराकर सरकार को नागरिकों के प्रति प्रतिबद्ध करने पर बल दिया जाएगा।
डिजिटल इंडिया के तहत विकास के नौ स्तंभ चिह्नित किये गए हैं, जिनमें ब्रॉडबैंड हाइवेज़, सर्वत्र उपलब्ध मोबाइल कनेक्टिविटी, इंटरनेट के सार्वजनिक प्रयोग की सहज सुविधा, ई-प्रशासन, ई-क्रांति, सबके लिये सूचना, इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण, रोज़गार के लिये सूचना प्रौद्योगिकी तथा अर्ली हार्वेस्ट आदि कार्यक्रम शामिल हैं। इन कार्यक्रमों से समाज का एकीकरण होगा तथा सरकार और नागरिकों के बीच संबंध और मज़बूत होंगे। परंतु इस मार्ग में कई चुनौतियाँ हैं।
इन चुनौतियों के अंतर्गत इस विशाल परियोजना के लिये निर्धारित कम समय (2019), अनुकूल माहौल, परिस्थितियाँ, मानसिकता और आधारभूत ढाँचे का विकास, जैसे-बिजली की कमी को दूर करना, दूरसंचार टावरों एवं इंटरनेट ढाँचे, दूरसंचार स्पेक्ट्रम की कमी को दूर करना, सरकारी दस्तावेज़ों और सेवाओं का डिजिटलीकरण करना, सरकारी प्रक्रियाओं का सरलीकरण, लालफीताशाही आदि प्रमुख हैं। इन चुनौतियों से निपटकर एस्तोनिया, स्वीडन एवं डेनमार्क जैसे देशों के मॉडल से सीख लेकर भारत डिजिटल इंडिया के क्षेत्र में एक मिसाल कायम कर सकता है।
डिजिटल इंडिया की प्रकृति रूपांतरकारी है तथा इससे यह सुनिश्चित हो रहा है कि सरकारी सेवाएँ नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध हों। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का लक्ष्य भारत को डिजिटल रूप से एक अधिकार संपन्न समाज बनाने एवं नए भारत के एक विकास इंजन के रूप में सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में रूपांतरित करना है। इससे सरकारी व प्रशासनिक सेवाओं को आम लोगों तक पहुँचाने के साथ ही सार्वजनिक जवाबदेही को भी सुनिश्चित किया जा रहा है। भारत को सॉफ्टवेयर की महाशक्ति माना जाता है, नागरिकों के लिए इलेक्ट्रॉनिक सरकारी सेवाओं की उपलब्धता अभी भी अपेक्षाकृत रूप से बहुत कम है। देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण एवं ई-गवर्नेंस में कारगर प्रगति सुनिश्चित करने पर और अधिक ज़ोर दिये जाने की आवश्यकता है। डिजिटल इंडिया विज़न इस पहल को और अधिक गति देने तथा इसकी प्रगति के लिये सघन प्रोत्साहन उपलब्ध कराकर समावेशी विकास को बढ़ावा देता है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स सेवाएँ, उत्पाद, उपकरण, विनिर्माण एवं रोज़गार के अवसर शामिल हैं।
21वीं सदी में भारत को अपने नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करना चाहिये, जिससे सरकार और उसकी सेवाएँ नागरिकों के दरवाजे तक पहुँचें तथा दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव की दिशा में योगदान दें।