"भारत की लंबी समुद्री सीमा लाभदायक होते हुए भी सीमाओं से परे नहीं हैं" कथन की पुष्टि करते हुए भारतीय बंदरगाहों के विकास के समक्ष उपस्थित चुनौतियों तथा इनसे निपटने के लिये सरकार द्वारा किये गए प्रयासों की चर्चा करें।
14 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका-बंदरगाहों की आवश्यकता और वर्तमान स्थिति। • वर्तमान में बंदरगाहों के विकास के समक्ष चुनौतियाँ। • सरकारी प्रयास। • निष्कर्ष। |
बंदरगाह किसी भी अर्थव्यवस्था का केन्द्र बन सकते हैं यदि वह कुशलतापूर्वक संचालित हों। भारत की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और लंबी तट रेखा (लगभग 7517 km) बंदरगाह के विकास के लिये उचित दशाएँ प्रदान करता है।उत्तरः
वर्तमान में 13 मुख्य बंदरगाह और 200 गैर प्रमुख, लघु और मध्यवर्ती बंदरगाह कार्यरत हैं। परंतु वर्तमान में न केवल बंदरगाहों की कार्यप्रणाली सीमित है, बल्कि लॉजिस्टिक्स प्लेटफॅार्म का विस्तार अपर्याप्त है। इसके अलावा तटीय क्षेत्र की कटी-फटी संरचना, जो प्राकृतिक बंदरगाह के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, की कमी के कारण बंदरगाहों का उचित विकास नहीं हो पाया है।
यही कारण है कि वैश्विक व्यापार के रास्ते में अवस्थिति होने के बाद भी भारत अधिकतम लाभ से वंचित रहा है।
भारत में बंदरगाहों के विकास में निम्न चुनौतियाँ हैं-
उपर्युक्त चुनौतियों को देखते सरकार द्वारा हाल ही में बंदरगाह विकास के लिये विशेष प्रयास किये गये हैं जिसके अंतर्गत जहाज़रानी मंत्रालय ने भारत के समुद्री क्षेत्र की पूरी क्षमता को साकार रूप देने के लिए अनेक कदम उठाये है। बाधाओं को दूर करते हुए कानूनों में संशोधन से लेकर वर्तमान बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण तक, मंत्रालय ने इस क्षेत्र की वृद्धि और विकास के उद्देश्य से पहलों की एक पूर्ण श्रृंखला का शुभारंभ किया है। इसके अंतर्गत सागरमाला कार्यक्रम सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है जिसमें राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना, सागरमाला विकास कंपनी, बंदरगाह आधुनिकीकरण और नवीन बंदरगाह विकास, बंदरगाह संपर्क में वृद्धि, बंदरगाह के अंतर्गत औद्योगिकीकरण, तटीय सामुदायिक विकास, संभावित प्रभाव, बंदरगाहों पर हरित ऊर्जा परियोजनाएं आदि योजनायें शामिल है।
उपर्युक्त प्रयासों के द्वारा एक तरफ बंदरगाहों की क्षमता का विस्तार होगा वहीं दूसरी तरफ हिन्द महासागर के ऊपर महत्त्वपूर्ण स्थिति का अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकेगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये एक ‘पुश फैक्टर’ का कार्य करेगा।