कार्बन कर जलवायु परिवर्तन पर शमन नीति के रूप में एक अच्छा विचार है किंतु इसके समक्ष अनेक चुनौतियाँ भी हैं। चर्चा करें
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में कार्बन कर को स्पष्ट करें।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में कार्बन कर लागू करने के लाभ और इसके समक्ष उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
|
कार्बन कर प्रदूषण पर कर का एक रूप है जिसमें कार्बन के उत्सर्जन की मात्रा के आधार पर जीवाश्म ईंधनों के उत्पादन, वितरण एवं उपयोग पर शुल्क लगाया जाता है। सरकार कार्बन के उत्सर्जन पर प्रति टन मूल्य निर्धारित करती है एवं फिर इसे बिजली, प्राकृतिक गैस या तेल पर कर (Tax) में परिवर्तित कर देती है। क्योंकि यह टैक्स अधिक कार्बन उत्सर्जक ईंधन के उपयोग को महँगा कर देता है, अतः यह ऐसे ईंधनों के प्रयोग को हतोत्साहित करता है एवं ऊर्जा दक्षता को बढ़ाता है।
कार्बन टैक्स लागू करना अच्छा क्यों है?
- यह लोगों को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग के लिये प्रोत्साहित करता है। कार्बन टैक्स के कारण जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग महँगा पड़ने लगता है जिससे व्यापारिक कंपनियाँ एवं उद्योग पर्यावरण अनुकूल एवं कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले वैकल्पिक स्रोतों का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित होते हैं।
- कार्बन टैक्स के कारण बड़ी मात्रा में CO2 का उत्सर्जन करने वाले संगठन एवं कंपनियों की संख्या कम हो जाती हैं जिससे पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर घटता है एवं यह ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करता है।
- कार्बन टैक्स सरकार का राजस्व बढ़ाने में सहायता करता है। चूँकि कार्बन टैक्स हरित ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करता है, अतः प्राकृतिक आपदाओं की संख्या एवं प्रदूषण के स्तर में कमी आती है। इससे इन आपदाओं एवं प्रदूषण से निपटने में कम राजस्व खर्च करना पड़ेगा।
कार्बन टैक्स लागू करने के समक्ष चुनौतियाँ
- कार्बन टैक्स को पूर्णतः लागू करने के पक्ष में राजनीतिक सहमति बना पाना आसान नहीं लग रहा है।
- इसे लागू करने में कई प्रशासनिक चुनौतियाँ भी हैं। इसका कार्यान्वयन एवं टैक्स का एकत्रण काफी महँगा हो सकता है तथा टैक्स की राशि निर्धारित करना काफी मुश्किल हो सकता है।
- इसे लागू करने पर यह भी संभव है कि व्यापारिक प्रतिष्ठान अपने उद्योगों को उन क्षेत्रों/देशों में ले जाएँ जहाँ कम कार्बन टैक्स हो अथवा कार्बन टैक्स न हो। इससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा, विकास अवरुद्ध हो जाएगा और बड़ी संख्या में श्रमिक अपना रोज़गार खो देंगे।
- इसे लागू करने से ऊर्जा महँगी हो जाएगी जिससे उद्योगों की विनिर्माण लागत में बढ़ोत्तरी होगी एवं अंततः मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी होगी।
इस संदर्भ में विभिन्न देशों को अपने नीतिगत अनुभवों एवं अनुसंधानों को साझा करना चाहिये ताकि शमन नीति पर पर्याप्त चर्चा की जा सके। इस प्रकार उद्योगों पर एक कार्बन सीमा (Carbon Cap) लागू की जा सकती है और इससे अधिक उत्सर्जन की स्थिति में उन पर कार्बन टैक्स लगाया जा सकेगा।