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प्रश्न :
‘वर्तमान वैश्वीकरण एवं संचार क्रांति के युग में परिवर्तित होते युद्ध के स्वरूप में मुख्य चुनौती बाहरी दुश्मन न होकर नागरिक समाज में छिपे अदृश्य दुश्मन हैं।’ टिप्पणी करें।
13 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोणः
• वर्तमान सशक्त भारतीय ढाँचा एवं नवीन चुनौतियाँ।
• विभिन्न जाति वर्गों में विभक्त समाज एवं वंचना के कारण उत्पन्न अदृश्य दुश्मन।
• आंतरिक सुरक्षा हेतु सरकारी ढाँचा एवं नवीन आवश्यकताएँ।
• भविष्य में उत्पन्न चुनौतियाँ।
• नवीन चुनौतियों के समाधान हेतु उपाय।
• निष्कर्ष।
वर्तमान भारत आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त देश है। हमारे पास विशाल सैन्य एवं पुलिस क्षमता और एक सक्षम प्रशासनिक ढाँचा है जिसके चलते हम प्रत्यक्ष रूप से आंतरिक चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं। परंतु वर्तमान वैश्वीकरण एवं संचार क्रांति के युग में परिवर्तित होते युद्ध के स्वरूप में मुख्य चुनौती बाहरी दुश्मन न होकर नागरिक समाज में छिपे अदृश्य दुश्मनों से है।
जैसा कि हम जानते हैं कि भारत विविधतामयी समाज है जिसमें कई धर्म, जाति और वर्गों के लोग एक साथ रहते हुए एक राष्ट्र/देश का निर्माण करते हैं जो कि सामाजिक एवं आर्थिक विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। लेकिन अभी भी देश में विकास के संदर्भ में वंचना व्याप्त है जो कि एकरूपी न होकर बहुरूपी है, जिसके कई चेहरे हैं। इन्हीं वंचनाओं के कारण राष्ट्र/देश की व्यवस्था के प्रति नकारात्मक और अज्ञानता की वजहों से एक अदृश्य तंत्र का निर्माण हो रहा है जो वर्तमान सोशल मीडिया और संचार क्रांति के युग में भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिये बड़ी चुनौती है।
हालाँकि भारत ने अपनी आंतरिक सुरक्षा की मज़बूती हेतु गृह मंत्रालय के अधीन आंतरिक सुरक्षा विभाग का गठन किया है जो आंतरिक सुरक्षा पर विशेष नज़र रखता है। साथ ही साथ भारत द्वारा इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं, जैसे राष्ट्रीय जाँच एजेंसी का गठन, इंटेलीजेन्स ब्यूरो, रिसर्च और एनालिसिस विंग आदि। परंतु 21वीं सदी में चौथी पीढ़ी के युद्धों को देखते हुए हमें अभी और प्रयासों की आवश्यकता है।
भविष्य में भारत के समक्ष बड़ी आर्थिक चुनौतियाँ, बड़े आर्थिक अवसर, विशाल आबादी और अधिक समस्याएँ होंगी। ऐसी स्थिति में नागरिक समाजरूपी युद्धस्थल में छिपे अदृश्य दुश्मन भारतीय समाज की अज्ञानता, जटिलता, वर्ग-विभेद, जातीयता आदि को भड़का कर भारतीय सामाजिक ढाँचे को नुकसान पहुँचाकर आंतरिक सुरक्षा के समक्ष चुनौती उत्पन्न कर सकते हैं, जैसे इंटरनेट एवं सोशल मीडिया के माध्यम से आतंकवाद, उन्माद, सांप्रदायिकता आदि का प्रचार करना और लोगों की भावनाओं को भड़काना।
इन समस्याओं से निपटने के लिये आंतरिक सुरक्षा कार्य में लगी एजेंसियों, संगठनों, पुलिसकर्मियों आदि को और दक्ष होना होगा तथा नई चुनौतियों के लिये खुद को बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाने के लिये प्रयास जारी रखने होंगे। 21वीं सदी में हमें तकनीकी रूप से और दक्ष होना और नई चुनौतियों का सामना करने के लिये हमेशा तैयार रहना होगा। तभी हम इन नवीन समस्याओं का सफलतापूर्वक सामना कर विश्व में अपनी एक अलग पहचान कायम कर सकते हैं।
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