‘राष्ट्रीय विरासत शहर विकास और विस्तार योजना (हृदय) का उद्देश्य विरासत नगरों की को संरक्षित एवं संवर्द्धित करना है।’ हमें अपने विरासत नगरों को संरक्षित करने की आवश्यकता क्यों है तथा इससे जुड़ी हुई समस्याओं पर प्रकाश डालें।
12 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति
हल करने का दृष्टिकोणः • भूमिका। • हृदय योजना को लागू करने के उद्देश्य। • विरासत संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? • समस्याओं की विवेचना। • निष्कर्ष। |
किसी व्यक्ति का अपनी धरोहर से संबंध उसी प्रकार का है, जैसे एक बच्चे का अपनी माँ से संबंध होता है। हमारी धरोहर हमारा गौरव हैं और ये हमारे इतिहास-बोध को मज़बूत करते हैं। हमारी कला और संस्कृति की आधार शिला भी हमारे विरासत स्थल ही हैं।
इतना ही नहीं हमारी विरासतें हमें विज्ञान और तकनीक से भी रूबरू कराती हैं, ये मनुष्यों तथा प्रकृति के मध्य जटिल सबंधों को दर्शाती हैं और मानव सभ्यता की विकास गाथा की कहानी भी बयां करती हैं।
विरासत शहरों के समग्र विकास के लिये शहरी विकास मंत्रालय ने ‘हृदय’ योजना का शुभारंभ किया है। योजना का उद्देश्य है- शहर के विशिष्ट चरित्र को प्रदर्शित करते हुए विरासत शहर की आत्मा को संरक्षित एवं संवर्धित करना। यह कार्य सौंदर्य की दृष्टि से आकर्षक, पहुँच योग्य, सूचनापरक एवं संरक्षित पर्यावरण को प्रोत्साहन देकर किया जाएगा।
यह योजना मुख्य विरासत अवसंरचना परियोजनाओं जिनमें संस्कृति विभाग, भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा चिह्नित/स्वीकृत विरासत परिसम्पत्तियों के आसपास के क्षेत्रों के लिये शहरी अवस्थापना सुविधाओं का संवर्धन शामिल है, के विकास में सहायता करेगी।
संरक्षण की आवश्यकता क्यों?
समस्याएँ
निष्कर्षतः इन विरासत स्थलों की स्थिति सुधरने हेतु इस दिशा में पहला कदम यह सुनिश्चित करना होगा कि स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों का दौरा आगंतुकों के लिये रोमांचक अनुभव साबित हों। दशकों के पुरातात्त्विक प्रयासों के बाद, भारत में हज़ारों विरासत स्थलों की खोज हुई हैं जो प्रसिद्ध हड़प्पा सभ्यता के समकालीन हैं। इन स्थलों के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं, वहीं पर्यटन विभाग भी इन स्थलों के ऐतिहासिक महत्त्व का प्रचार-प्रसार करने में असफल रहा है, इस दिशा में तत्काल प्रभावी कदम उठाने होंगे।इस दिशा में ‘हृदय’ योजना महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।