"पत्रकारिता की नैतिकता में वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता में परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में तटस्थ आवाज़ आज उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं लगती जितना कि यह सौ वर्ष पूर्व थी और समाचार में निष्पक्षता का कोई भी आग्रह विचारों की मुक्त दुनिया में वस्तुतः एक रुकावट हो गया है।" क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर को उदाहरण के साथ पुष्ट करें।
07 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण: • पत्रकारिता नैतिकता के नवीन व पुराने सिद्धान्तों की चर्चा करें। • भारत के परिप्रेक्ष्य में अपनी राय स्पष्ट करें। • अपनी राय के संबंध में सोदाहरण तर्क दें। |
मैं, इस वक्तव्य से अंशतः सहमत हूँ क्योंकि वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता के बदलते आयामों में पुरानी व नयी पत्रकारिता पद्धति देशों के संदर्भ में भिन्न-भिन्न होगी। उल्लेखनीय है कि पुरानी पत्रकारिता में सीधा-सपाट तथ्यों का प्रस्तुतीकरण कर निष्पक्षता को बनाए रखने का प्रयास होता था। जबकि वर्तमान पत्रकारिता में एक नई शैली का विकास हुआ है जिसके अंतर्गत पारदर्शिता, मज़बूत विश्लेषण, व्यक्तिपरक दृष्टिकोण, राय और कभी-कभी बहस (वाद-विवाद) के मुद्दे में एक पक्ष का समर्थन कर निष्पक्षता को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में कहा जाता है नवीन पद्धति समाज को सोचने, नये विचार बनाने व तार्किक विश्लेषण का आधार प्रदान करती है। जो स्वतंत्र विचारों के विश्व को अनुप्राणित करती है।
ऐसी स्थिति में, अधिक सतर्क, शिक्षित समाज में नवीन शैली अधिक प्रासंगिक है जबकि भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश में जहाँ सतर्कता का स्तर कम है, वहाँ पत्रकारों द्वारा निष्पक्षता को न अपनाना प्रायः उचित प्रतीत नहीं होता है। अतः भारत में मीडिया द्वारा अतिसनसनीखेज व टीआरपी प्रेरित पत्रकारिता दंगो, सामाजिक अंसतुलन को बढ़ावा दे सकती है।
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि भारत में मीडिया को मानवतावादी मूल्यों से अनुप्राणित होना चाहिये तथा वह स्पष्ट तथा निष्पक्ष होनी चाहिये। मीडिया (सोशल-मीडिया, पत्रकारिता) का अनुचित उपयोग बहुत बड़ी अव्यवस्था फैला सकती है जैसे 2012 में उत्तर पूर्व के लोगों हेतु फैलायी गई गलत जानकारियों के कारण लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा। इसके अतिरिक्त यह राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु खतरा उत्पन्न कर सकती है। अतः पत्रकारिता को वस्तुनिष्ठ, निष्पक्ष, संवेदनशीलता व जिम्मेदारी जैसे मूल्यों से सज्जित होना चाहिये। वर्तमान समय में शांत पत्रकारिता (Peace Journalism) के विचार को अपनाना आवश्यक हो गया है।