"मनुष्य अपनी स्वतंत्रता के लिये अभिशप्त है क्योंकि एक बार विश्व में झोंक दिये जाने के बाद वह उस प्रत्येक चीज़ के लिये ज़िम्मेदार होता है जो वह करता है।"
उपरोक्त नैतिक विचार का वर्तमान संदर्भ में आपके लिये क्या महत्त्व है?
हल करने का दृष्टिकोण: • वक्तव्य को स्पष्ट करें। • वर्तमान प्रासंगिकता व अपनी राय स्पष्ट करें। |
मेरी राय में इस वक्तव्य का आशय है कि व्यक्ति अपने भाग्य का स्वनिर्माता है, चाहे परिस्थितियाँ और निर्णयात्मक स्थान कैसा भी हो। यदि कोई व्यक्ति पूर्ण निष्ठावान और दृढ़ प्रतिज्ञ है तो वह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर मील का पत्थर स्थापित कर सकता है।
ध्यातव्य है कि कई बार परिस्थितियाँ और पर्यावरण पर मानव का पूर्ण नियंत्रण में नहीं होता है लेकिन निर्णय और उसके परिणाम मानव की हद में होते हैं। उदाहरण के तौर पर ‘कैदी की दुविधा’ यह बताती है कि कुल मिलाकर स्थिति कैदी के नियंत्रण में नहीं होती है लेकिन कैदी की पसंद पर ही परिणाम आंशिक रूप से निर्भर करता है।
हम अपनी पसंद, निर्णय इत्यादि के लिये पूर्णतया स्वतंत्र है परंतु इन निर्णयों व पसंदों के परिणामों को वहन करने की जिम्मेदारी भी हमारी है, फिर चाहे वो परिणाम अच्छे हों या बुरे। इसे वर्तमान समय में भारतीय प्रशासन के संदर्भ में देखा जा सकता है। जहाँ एक ओर नौकरशाही पर समान स्थिति (status quoist) बनाए रखने का आरोप लगता है। क्योंकि राजनैतिक शक्तियाँ और मीडिया का अति सनसनीखेज प्रस्तुतीकरण निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न करते हैं। वहीं दूसरी ओर अशोक खेमका, दुर्गाशक्ति नागपाल, हेमंत करकरे और अन्य यह दर्शाते हैं कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी कार्य का उचित क्रियान्वयन किया जा सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में 2009 बैच के आई.ए.एस अधिकारी 'Armustrong Pame' द्वारा बिना सरकारी सहायता के मणिपुर से नगालैंड को जोड़ने वाली 100 किमी. लंबी ‘लोगो की सड़क’ का निर्माण करवाना एक प्रासंगिक उदाहरण है।