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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ‘महासागरीय डीऑक्सीजनेशन’ से क्या आशय है? महासागरीय डीऑक्सीजनेशन के कारणों की चर्चा करें तथा बताएं कि यह महासागरीय पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करता है?

    26 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • महासागरीय डीऑक्सीजनेशन से आशय।

    • महासागरीय डीऑक्सीजनेशन का प्रभाव।

    महासागरीय डीऑक्सीजनेशन से आशय महासागरों में होने वाली ऑक्सीजन की कमी से है।

    हाल ही में इस संदर्भ में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर द्वारा ‘ओशन डीऑक्सीजनेशन : एवरीवन प्रॉब्लम’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की गई जिसमें महासागरीय डीऑक्सीजनेशन के निम्नलिखित कारण बताए गए:

    • जलवायु परिवर्तन: जैसे-जैसे ग्लोबल वार्म़िग के कारण महासागर गर्म होता है, डीऑक्सीजनेशन को बढ़ावा मिलता है।
      • गर्म महासागर के जल में कम ऑक्सीजन होती है और ठंडे जल की तुलना में यह अधिक प्लवनशील होता है। इससे ऑक्सीजन युक्त महासागरीय सतह के जल का गहन सागरीय जल के साथ मिश्रण बाधित होता है।
      • इसमें महासागरीय धाराओं और पवनों में परिवर्तन के कारण और अधिक वृद्धि हो जाती है।
      • गर्म जल में जीवित जीवों हेतु ऑक्सीजन की उपलब्धता में कमी आ जाती है।
      • गहन सागरीय जल के गर्म होने से मीथेन गैस हाइड्रेड्स अस्थिर बन सकते हैं, जिससे अवसादों से मीथेन के उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप मीथेन के वायवीय श्वसन की व्रिया से CO2 की मात्रा में वृद्धि हो सकती है।
    • सुपोषण: इससे तटीय ऑक्सीजन में कमी हो जाती है। उर्वरक, वाहित मल, पशु और जलीय कृषि अपशिष्ट के परिणामस्वरूप शैवालों की अत्यधिक वृद्धि हो जाती है, ज्ञातव्य है कि शैवालों के अपघटित होने से ऑक्सीजन का क्षय होता है।

    प्रभाव:

    • समुद्री जीवों को अपने भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिये ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इस ऊर्जा का उपयोग वृद्धि और प्रजनन के लिये किया जा सकता है। जब महासागरीय ऑक्सीजन का स्तर अपर्याप्त होता है तो जीवों को वृद्धि तथा प्रजनन के लिये आवश्यक ऊर्जा उपलब्ध नहीं होती है।
    • ऑक्सीजन की कमी से प्रजातियों की अधिवास सीमा में परिवर्तन, लंबवत और महासागरीय मग्नतट पर संचलन के प्रतिरूप में परिवर्तन तथा प्रजनन स्थलों की क्षति होती है। साथ ही मत्स्यन में कमी के साथ-साथ तटीय राज्यों के आर्थिक लाभ में कमी होने की संभावना होती है।
    • डीऑक्सीजनेशन, प्रदूषण तथा महासागरीय अम्लीकरण के कारण समुद्र का पारिस्थितिकी तंत्र नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है।
    • ऑक्सीजन का क्षय प्रत्यक्ष रूप से अवसादों में कार्बन तथा अन्य पोषण चक्रों से संबंधित है, जैसे- समुद्री जल में ऑक्सीजन की कमी होने पर समुद्री प्रणालियों में फॉस्फोरस का पुनर्चक्रण बढ़ाया जाता है। फॉस्फोरस की अधिक उपलब्धता उत्पादकता में अधिक वृद्धि कर सकती है और कार्बनिक पदार्थों के निक्षेपित होने पर गहन जल में ऑक्सीजन की मांग को बढ़ा सकती है।
    • निम्न अक्षांशों, तटीय शहरी एवं ग्रामीण जनसंख्या, विकासशील देशों में निर्धन परिवारों और हाशिये पर स्थित समूहों के लोग महासागरीय डीऑक्सीजनेशन के प्रभावों के प्रति सर्वाधिक सुभेद्य हैं।

    उपर्युक्त समस्या के समाधान हेतु जलवायु परिवर्तन कार्रवाई, ऑक्सीजन अवलोकन और परीक्षण में सुधार तथा मानव अर्थव्यवस्थाओं और समाजों पर प्रभावों के आकलन जैसे उपायों को अपनाया जाना आवश्यक है।

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