“भौगोलिक अध्ययन में साहित्यिक भाषा की अपेक्षा गणितीय भाषा का उपयोग करना अधिक लाभकारी है परिणामस्वरूप भूगोल में आनुभविक विवरण को त्याग दिया गया और उसका स्थान मात्रात्मक विधियों ने ले लिया।” कथन को स्पष्ट करते हुए भूगोल में मात्रात्मक क्रांति के उद्देश्यों की चर्चा कीजिये।
23 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
उत्तर की रूपरेखा
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1950 के बाद भौगोलिक विषय सामग्री को सुचारु रूप से समझने के लिये सांख्यिकीय एवं गणितीय तकनीकों के प्रयोग में आई क्रांति को भूगोल में मात्रात्मक क्रांति कहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य भूगोल को वैज्ञानिक रूप देना था।
बर्टन ने कनाडियन ज्योग्राफर में अपना शोध पत्र “The Quantitative Revolution and Theoretical Geography” प्रकाशित कराया जिसमें उसने भूगोल में मात्रात्मक विधियों की उपयोगिता का वर्णन किया। बर्टन के अनुसार, मात्रात्मक विधियों का विकास सर्वमान्य तत्त्वों की खोज करने के लिये किया गया था ताकि भौगोलिक तथ्यों को उनमें ढाला जा सके। अतः विकसित देशों के विद्वान यह महसूस करने लगे कि भौगोलिक अध्ययन में साहित्यिक भाषा की अपेक्षा गणितीय भाषा का प्रयोग करना अधिक लाभकारी है, परिणामस्वरूप भूगोल में आनुभविक विवरण को त्याग दिया गया और उसका स्थान मात्रात्मक विधियों ने ले लिया।
मात्रात्मक क्रांति के उद्देश्य -
भूगोल में मात्रात्मक विधियों के प्रयोग में तेज़ी उन भूगोलवेत्ताओं के प्रयासों से आई जिन्होंने प्राकृतिक विज्ञान विशेषतया भौतिकी एवं सांख्यिकी का अध्ययन किया था और जिनकी सैद्धांतिक अर्थशास्त्र के साहित्य पर अच्छी पकड़ थी। परिणामस्वरूप भूगोल में मात्रात्मक क्रांति का सूत्रपात हुआ।