गोथिक स्थापत्य कला से आप क्या समझते हैं? इंडो-गोथिक शैली की विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
25 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति
उत्तर की रूपरेखा
|
गोथिक कला से अभिप्राय तिकोने मेहराबों वाली यूरोपीय शैली से है, जिससे इमारत के विशाल होने का आभास होता है। यह मध्ययुगीन यूरोपीय वास्तु की एक शैली है, जो संभवत: जर्मन गोथ जाति के प्रभाव से आविर्भूत हुई थी। इस शैली की इमारतें यद्यपि क्लासिकल शैली के सौंदर्य से विरहित थीं और पतले, ऊँचे अनेक शिखरों से मंडित होती थीं। इस शैली का बोलबाला प्राय: 12वीं से 15वीं सदी तक बना रहा और अंत में पुनर्जागरण काल में इसका स्थान क्लासिकल शैली ने ले लिया।
यह शैली ब्रिटिशों के शासनकाल के दौरान यूरोप से भारत आई। इसे विक्टोरियन शैली भी कहा जाता है। इंडो-गोथिक शैली हिन्दुस्तानी, फारसी और गोथिक शैलियों का शानदार मिश्रण है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
नवगोथिक शैली में मुंबई का सचिवालय, विश्वविद्यालय, उच्च न्यायलय जैसी कई इमारतें बनीं, जो तत्कालीन वणिक वर्ग को पसंद आईं। इस शैली का सबसे अच्छा उदाहरण मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल है, जो कभी ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे कंपनी का स्टेशन और मुख्यालय था। इसे 2004 में विश्व विरासत सूची में शामिल कर लिया गया। आगे आगरा के सेंट जॉन कॉलेज, इलाहबाद विश्वविद्यालय (मेयर कॉलेज) तथा मद्रास उच्च न्यायालय के निर्माण में यह शैली निखर कर सामने आई।