‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’ से क्या आशय है, इसे लोगों में किस प्रकार विकसित किया जा सकता है? किसी व्यक्ति को नैतिक निर्णय लेने में यह कैसे सहायक सिद्ध होती है?
13 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण: • भावनात्मक बुद्धिमत्ता से आशय। • इसे लोगों में किस प्रकार विकसित किया जा सकता है? • नैतिक निर्णय लेने में यह कैसे सहायक सिद्ध होती है? |
भावनात्मक बुद्धिमत्ता वह योग्यता है जिससे व्यक्ति अपनी तथा अन्य व्यक्तियों की भावनाओं तथा अनुभूतियों को पहचानता है, उनमें अंतर करता है तथा सूचना का प्रयोग अपने चिंतन तथा क्रियाओं को निर्देशित करता है।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता द्वारा भावनाओं को प्रत्यक्ष किया जा सकता है, उन्हें चिंतन प्रक्रिया से जोड़ा जा सकता है। उन्हें नियमित किया जा सकता है ताकि व्यक्ति की प्रगति प्रोत्साहित हो सके।
‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’ को बौद्धिक क्षमता की तरह औपचारिक तरीके से नहीं सिखाया जा सकता। इसके लिये आवश्यक है कि व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में रहने और उसमें निर्णय लेने के लिये अभ्यस्त किया जाए। उसे विभिन्न समूहों, वर्गों तथा धर्मों के लोगों के साथ संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान किया जाए। इस संदर्भ में दूसरे समुदायों या वंचित वर्गों के प्रति सहानुभूति विकसित करने हेतु उनसे जुड़े साहित्य या लेख पढ़ना भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
किसी व्यक्ति के निर्णय की सटीकता तथा प्रभावशीलता तब तक बेहतर नहीं हो सकती, जब तक कि वह परिस्थितियों को पूर्ण रूप से समझने में सक्षम न हो। यही कारण है कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता से युक्त व्यक्ति परिस्थितियों तथा समय की मांग के अनुरूप निर्णय लेता है।
दूसरों की भावनाओं को समझने का एक लाभ यह होता है कि इससे व्यक्ति को उन मूल्यों तथा सिद्धांतों का बेहतर ज्ञान होता है जिन पर एक बड़ा समूह विश्वास करता है। इसलिये सामान्यत: वह इनसे लाभ की अपेक्षा दीर्घकाल में मिलने वाला सम्मान अधिक आकर्षित करता है। इसलिये उसे ऐसा कोई भी निर्णय लेने से बचता है जो उसकी नैतिकता के विरुद्ध हो। उदाहरण के लिये गांधी जी यदि चाहते तो अंग्रेज़ों से ऊँचे पद प्राप्त कर विलासी जीवन जी सकते थे, लेकिन उनकी दूरदृष्टि के कारण वे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े और महान कहलाए।