‘सर्वहित में ही प्रत्येक व्यक्ति का हित निहित है’ सार्वजानिक जीवन में इस सिद्धांत का पालन कैसे किया जा सकता है?
10 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका। • ‘सर्वहित में प्रत्येक व्यक्ति का हित है’ से क्या आशय है स्पष्ट करें। • सार्वजनिक जीवन में इस सिद्धांत के लाभ। • निष्कर्ष। |
उपर्युक्त कथन से आशय यह है कि यदि कोई कार्य व्यापक जनकल्याण के उद्देश्य से किया जा रहा है तो वही श्रेष्ठ कार्य है। व्यक्ति को सदैव व्यक्तिगत हित से ऊपर उठकर सार्वजनिक हित को वरीयता देनी चाहिये उसे ऐसे कार्य करने में विश्वास रखना चाहिये जो समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिये कल्याणकारी है; इससे यह सुनिश्चित किया जाना संभव होगा कि यदि समाज का अंतिम व्यक्ति लाभांन्वित होता है तो परोक्ष रूप से समाज का पहला व्यक्ति भी अवश्य लाभान्वित होगा।
गांधी जी का सर्वोदय का सिद्धांत जो रस्किन बांड के ‘अन टू दिस लास्ट’ से प्रेरित था, भी सबके उत्थान के लिये सर्वप्रथम अंतिम व्यक्ति के उत्थान की बात करता है। सर्वहित की धारणा समाज में समानुभूति, करुणा जैसे मूल्यों को बढ़ावा देती है, जिससे सह-अस्तित्व की भावना मज़बूत होती है। वस्तुत: यदि किसी समाज में असमानता अत्यधिक है तो यह संघर्ष को बढ़ावा देती है, जिससे समाज की समग्र खुशहाली में कमी आती है। साथ ही एक समाज सर्वाधिक खुशहाल तभी हो सकता है जब इसमें सभी का योगदान हो। इसके लिये सर्वहित को प्राथमिकता देना अनिवार्य है।
सार्वजनिक जीवन में इसके पालन से तात्पर्य है कि नीतियों के निर्माण में अंतिम व्यक्ति प्राथमिकता में हो। उदाहरण के लिये वंचित तथा पिछले तबकों के लिये मुक्त या उचित कीमत पर भोजन, चिकित्सा, शिक्षा, मकान आदि उपलब्ध कराना, ताकि वे भी मुख्यधारा में शामिल हो सकें। अनेक सरकारी योजनाएँ तथा निगम तथा सामाजिक उत्तरदायित्व इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये संचालित होते है। इसके अलावा व्यक्तिगत स्तर पर ही परोपकारिता, सहयोग त्याग जैसे मूल्यों को अपनाकर सर्वहित में योगदान दिया जा सकता है।