प्रवास के आर्थिक, जनांकिकीय तथा सामाजिक परिणामों का समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिये।
04 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण: • प्रवास से आप क्या समझते हैं ? • प्रवास के आर्थिक, जनांकिकीय तथा सामाजिक सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम क्या हैं? • निष्कर्ष। |
प्रवास, विभिन्न क्षेत्रों में संसाधनों, सुविधाओं तथा अवसरों के विषमतामूलक वितरण के कारण होता है। प्रवास, बेहतर अवसरों तथा सुरक्षित जीवन की तलाश करने वाली एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है क्योंकि निरपेक्ष रूप से कोई क्षेत्र आदर्श नहीं होता। प्रवास उद्गम तथा गंतव्य दोनों क्षेत्रों के लिये लाभ तथा हानि दोनों उत्पन्न करता है।
प्रवास के आर्थिक पक्ष- इसका सबसे बड़ा लाभ प्रवासियों द्वारा अपने परिवार को भेजी गई वह ‘रकम’ है जिसे ‘प्रेषण’ कहते हैं। यह प्रेषण न केवल उस परिवार की आजीविका के लिये अपितु उस राज्य अथवा देश की अर्थव्यवस्था के लिये भी आय का मुख्य स्रोत होता है। हालाँकि इन प्रवासियों द्वारा अपने गंतव्य क्षेत्र के लोगों के लिये आर्थिक अवसरों को सीमित भी कर दिया जाता है जो अक्सर तनाव व हिंसा का कारण बनता है। इसके अलावा अनियंत्रित प्रवास नगरों में गंदी बस्तियों के निर्माण के लिये भी उत्तरदायी होता है जहाँ मानवीय जीवन की मूलभूत सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।
जनसंख्या से संबंधित पक्ष: प्रवास देश के अंदर जनसंख्या का पुनर्वितरण भी करता है। ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर निरंतर कुशल तथा अकुशल श्रमिकों का प्रवास नगरीय संवृद्धि में योगदान देता है किंतु ग्रामीण क्षेत्रों में यह गंभीर जनांकिकीय असंतुलन पैदा कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों, महिलाओं और वृद्धों की जनसंख्या का अनुपात अधिक हो जाता है क्योंकि प्रवास करने वालों में अधिकांश जनसंख्या पुरुषों की होती है। इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में निर्भरता अनुपात बढ़ जाता है और ग्रामीण संवृद्धि प्रभावित होती है। दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों में लिंगानुपात में कमी आ जाती है।
सामाजिक पक्ष- प्रवासी सामाजिक परिवर्तन के वाहक होते हैं। विकसित क्षेत्रों से जब ये वापस ग्रामीण और अल्पविकसित क्षेत्रों में जाते हैं तो अपने साथ नवीन प्रौद्योगिकियों और विचारों को भी ले जाते हैं जो रूढ़ियों और अंधविश्वासों को तोड़ने का काम करते हैं। प्रवास से विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का आपस में सम्मिश्रण होता है जिससे लोगों की संकीर्णता कम होती है। जाति-प्रथा का कमज़ोर होना बढ़ते प्रवासों का परिणाम है। यद्यपि प्रवास के कुछ गंभीर सामाजिक दुष्परिणाम भी हैं। शहरी क्षेत्रों में सामाजिक नियंत्रण शिथिल होता है और व्यक्ति अकेलापन तथा अनामिता कि दुनिया में जीता है जो उसे नशे तथा अपराध की दुनिया में जाने को प्रेरित करता है। इसके अलावा प्रवास से प्राकृतिक संसाधनों का अतिदोहन भी होता है जो प्रदूषण जैसी कई गंभीर पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न करता है। इसलिये प्रवास सीमाओं से रहित नहीं होता है।