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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सामाजिक न्यायवादी जॉन रॉल्स के न्याय संबंधी सिद्धांतों पर टिप्पणी करें।

    04 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जॉन रॉल्स के अनुसार न्याय की व्याख्या।

    • संबंधित अन्य सिद्धांत क्या हैं ।

    • सिद्धांतों का विश्लेषण।

    जॉन रॉल्स के अनुसार, न्याय के दो मूलभूत सिद्धांतों को अपनाना एक उचित व नैतिक दृष्टि से स्वीकरणीय समाज की गारंटी देगा-

    प्रत्येक व्यक्ति की ऐसी व्यापक प्रणाली में बराबर की हकदारी होनी चाहिये जो सभी के लिये स्वतंत्रता की इस प्रकार की प्रणाली के साथ तुलनीय हो।

    सामाजिक व आर्थिक असमानताओं को इस प्रकार से प्रबंधित किया जाना चाहिये, जिससे की दोनों ही-

    सबसे कम लाभ प्राप्त करने वाले लोगों के लिये सबसे अधिक फायदेमंद हो तथा अवसर की उचित समानता की दशाओं के साथ-साथ सभी के लिये उपलब्ध पदों से भी संबद्ध हो।

    पहला सिद्धांत उससे मिलता-जुलता है जिसे ‘सकारात्मक भेदभाव’ कहा जाता है। इसका अर्थ यह है कि जबकि व्यक्तियों का असमान व्यवहार अवांछनीय है, यह उन व्यक्तियों की सहायता के लिये उचित माना जा सकता है जो ऐसी विकलांगताओं से ग्रस्त हैं जो उनके स्वयं के द्वारा पैदा नहीं की गई हैं। यह विचार सामाजिक और आर्थिक न्याय के तर्क-वितर्क का आधार है। इस अपवाद के अलावा सभी सामाजिक व्यवस्थाएँ अवसरों की समानता पर आधारित हैं।

    रॉल्स (एक काल्पनिक स्थिति मानकर) यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि ऐसे सिद्धांत किस प्रकार सार्वभौमिक स्तर पर अपनाए जा सकते हैं तथा इस तरह वे अशत: नैतिक मुद्दों की ओर मुड़ जाते हैं। उन्होंने ‘अज्ञान का पर्दा’ सिद्धांत दिया जो यह सुनिश्चित करता है कि ‘सामाजिक जेल’ में सभी खिलाड़ियों को एक विशेष परिस्थिति में रखा जाएगा। रॉल्स ने इसे ‘मूल स्थिति’ कहा है। इस स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति को ‘जीवन तथा समाज’ के तथ्यों की केवल सामान्य जानकारी होगी। अत: प्रत्येक खिलाड़ी को ऐसी सामाजिक संस्था का ‘विवेकपूर्ण चयन’ करना होगा, जिसके साथ वह संबंद्ध रहेगा। चूँकि खिलाड़ियों के पास अपने संबंध में कोई विशिष्ट जानकारी नहीं है, अत: वे कोई पक्षपाती या अपने मतलब का विचार नहीं रख पाएंगे। उन्हें एक ऐसा सामान्यीकृत दृष्टिकोण अपनाने के लिये विवश होना पडे़गा जो नैतिक दृष्टिकोण से बहुत मिलता-जुलता हो सकता है।

    रॉल्स का मानना है कि ‘खास पद्धतिगत सौदेबाज़ी की दिक्कतों में अपनी विवेकपूर्ण तर्कणा का सहारा लेकर ही नैतिक दृष्टिकोण तथा विवेकपूर्ण आधार बिंदु को त्यागे बिना नैतिक निष्कर्षों पर पहुँचा जा सकता है।’

    रॉल्स का यह विचार ‘अज्ञान के पर्दे के भीतर विवेकपूर्ण चयन’ को प्रस्तुत करता है। रॉल्स का तर्क है कि उनकी मान्यताओं को माना जाए तो लोग-उदार समाज, अवसरों की समानता पर आधारित स्वतंत्रता, तथा इच्छा की स्वतंत्रता पसंद करेंगे किंतु उसमें लाभों से वंचित वर्गों की समस्याओं के लिये भी काफी गुंजाइश होगी।

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