‘पूर्वोत्तर राज्यों के क्षेत्रीय/जातीय तनावों के इतिहास को ध्यान में रखते हुए हाल ही में हुआ ब्रू शरणार्थी समझौता बेहतर प्रयास है।’ कथन के संदर्भ में ब्रू-मिज़ो संघर्ष के कारणों की चर्चा करते हुए ब्रू शरणार्थी समझौते के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालें।
31 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा
हल करने का दृष्टिकोण : • भूमिका। • ब्रू शरणार्थी समझौता क्या है? • इस समझौते के तहत विस्थापित ब्रू परिवारों के लिए की गई व्यवस्था क्या है? • निष्कर्ष। |
ब्रू समुदाय भारत के पूर्वोत्तर में स्थित मिज़ोरम राज्य का एक जनजातीय समुदाय है तथा इस समुदाय को त्रिपुरा राज्य में रियांग नाम से भी जाना जाता है, अतः अलग-अलग स्थानों पर इस समुदाय को ब्रू, रियांग अथवा ब्रू-रियांग नाम से संबोधित किया जाता है।
मिज़ो समुदाय के अनुसार, ब्रू जनजाति के लोग बाहरी (विदेशी) हैं, जो उनके क्षेत्र में आकर बस गए हैं। इन दोनों समुदायों के बीच संघर्ष का पुराना इतिहास रहा है। वर्ष 1995 में मिज़ोरम राज्य में ब्रू समुदाय द्वारा स्वायत्त ज़िला परिषद की मांग और चुनावों में भागीदारी के कुछ अन्य मुद्दों पर ब्रू और मिज़ो समुदाय के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। वर्ष 1997 में दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़पें पुनः तेज़ हो गईं, इसी दौरान ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट के सदस्यों ने एक मिज़ो अधिकारी की हत्या कर दी। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच दंगे भड़क गए और अल्पसंख्यक होने के कारण ब्रू समुदाय को मिज़ोरम में अपना घर-बार छोड़कर त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में आश्रय लेना पड़ा। ब्रू समुदाय के लोग पिछले 23 वर्षों से उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर प्रखंड में स्थायी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
ब्रू शरणार्थी समझौता
उपरोक्त चतुर्पक्षीय समझौते से करीब 23 वर्षों से जारी एक बड़ी समस्या का स्थायी समाधान किया जाएगा। इस समझौते के तहत केंद्र सरकार ने ब्रू-रियांग समुदाय के लोगों के पुनर्वास हेतु त्रिपुरा एवं मिज़ोरम की राज्य सरकारों और ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श कर एक नई व्यवस्था बनाने का फैसला किया है।
इस समझौते के तहत विस्थापित ब्रू परिवारों के लिये निम्नलिखित व्यवस्थाएँ की गई हैं-
16 जनवरी को ब्रू शरणार्थियों की समस्या को लेकर हुए इस समझौते के बाद लगभग दो दशक से अधिक समय से चली आ रही इस समस्या का समाधान संभव हो सकेगा। सरकार की इस पहल के बाद इस समुदाय को घर, बिजली, पानी के साथ कई अन्य मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा। ब्रू समुदाय के लोग मतदान के माध्यम से त्रिपुरा सरकार तक अपनी बात पहुँचा सकेंगे। पिछले कुछ वर्षों से शरणार्थी शिविरों में नवजात मृत्यु जैसी गंभीर समस्याओं में वृद्धि हुई थी। इस समझौते के बाद केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इस समुदाय को पुनः मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिलेगी। वर्ष 2018 के समझौते के बाद बड़ी संख्या में ब्रू समुदाय के लोगों ने मिज़ोरम में अपनी सुरक्षा से संबंधित चिंताओं के कारण विरोध जाहिर किया था। अतः इस समझौते के बाद सामुदायिक सौहार्द को बनाए रखते हुए ब्रू जनजाति का सफल पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सकेगा।