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प्रश्न :
आप इस मत से कहाँ तक सहमत हैं कि पानीपत के दूसरे युद्ध ने भारतीय इतिहास की धारा को परिवर्तित कर दिया।
30 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• पानीपत के दूसरे युद्ध की पृष्ठभूमि लिखिये।
• पानीपत के दूसरे युद्ध ने भारतीय इतिहास की धारा को कैसे परिवर्तित किया, उल्लेख कीजिये।
• निष्कर्ष ।
यद्यपि सूर साम्राज्य के बिखराव के बाद हुमायूँ ने दिल्ली पर पुन: आधिपत्य स्थापित कर लिया था लेकिन इसकी मृत्यु के पश्चात् ऐसी परिस्थितियाँ निर्मित हुईं कि मुगल भारत से निष्काषित होने से बाल-बाल बचे। अत: 1556 ई. में पानीपत के दूसरे युद्ध में हेमू की पराजय के परिणाम दीर्घकालिक साबित हुए।
पानीपत के दूसरे युद्ध ने भारतीय इतिहास की धारा को निम्नलिखित रूप से मुगलों के पक्ष में परिवर्तित किया-
हेमू का उदय अफगानों के अधीन विकसित अपेक्षाकृत अधिक खुले समाज और हिंदू राजाओं के साथ अफगानों के बढ़ते हुए सामंजस्य का परिचायक था। अत: हेमू की विजय भारतीय इतिहास में अफगानों के लिये एक महत्त्वपूर्ण अवसर हो सकती थी।
हेमू ने शस्त्रास्त्रों से युक्त एवं प्रशिक्षित हाथियों पर ज़रूरत से ज़्यादा विश्वास किया जिससे मुगलों को तोपखाने पर अधिकार करने का अवसर मिल गया, जिसका नुकासन हेमू को उठाना पड़ा।
इस युद्ध में हेमू लगभग जीत की कगार पर था, लेकिन एक तीर उसकी आँख में लगी और वह बेहोश होकर गिर गया। अत: अकबर धैर्य एवं साहस के साथ-साथ भाग्य के आधार पर मुगल साम्राज्य को मज़बूती से स्थापित करने में सफल रहा।
हेमू अफगान सरदारों के असंतोष, तोपखाने के प्रति लापरवाह होने के बावजूद मुगलों को महत्त्वपूर्ण क्षति पहुँचाने में सफल हुआ। लेकिन हेमू के बेहोश होने पर सेना उसे न देखकर घबरा गई और मैदान छोड़कर भाग खड़ी हुई जिसका फायदा मुगलों ने बखूबी उठाया।
पानीपत का दूसरा युद्ध मुगलों के लिये निर्णायक सिद्ध हुआ। पानीपत के दूसरे युद्ध ने भारतीय इतिहास में मुगलों के उदय की वास्तविक शुरुआत की।
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