भारत तथा अफ्रीका के मध्य ऐतिहासिक संबंधों का परिचय देते हुए बताएं कि क्यों वर्तमान परिदृश्य में अफ्रीकी महाद्वीप से बेहतर रिश्ते भारत के लिये ज़रूरी है?
24 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका। • भारत तथा अफ्रीका के मध्य ऐतिहासिक संबंधों का परिचय। • वर्तमान परिदृश्य में अफ्रीका से रिश्ते आवश्यक क्यों? • निष्कर्ष। |
भारत तथा अफ्रीका के मध्य रिश्ते इतिहास के निर्माण से लेकर साम्राज्यवादियों के खिलाफ संघर्षों से उद्भूत विरासतों से संपन्न रहे हैं। यही वजह है कि हमारी विदेश नीति की बुनियाद में एफ्रो-एशियाई ब्रदरहुड का मौलिक सिद्धांत प्रक्षेपित हुआ तथा भारत ने कई मोर्चों पर साथ चलने तथा साथ देने का निर्णय लिया। भारत ने नामीबिया, जिंम्बाम्बे, अंगोला, तथा गिनी जैसे अफ्रीकी देशों को सहयोग दिया तथा दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद विरोधी नीति के संघर्ष को समर्थन देकर यह सिद्ध किया कि उसका अफ्रीकी महाद्वीप की भूमि तथा उसके लोगों के साथ किस तरह का लगाव है।
भारत तथा अफ्रीका के मध्य संबंधों का ऐतिहासिक पक्ष:
अफ्रीका से रिश्ते आवश्यक क्यों?
किसी भी अफ्रीकी देश से भारत के हितों का प्रत्यक्ष टकराव नहीं है। भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की परिषद् में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिये अफ्रीकी समर्थन तथा चीनी गतिविधियों को काउंटर करने के लिये उसके साथ रणनीतिक साझेदारी चाहिये।
कूटनीतिक तथा सामरिक दृष्टि से भी अफ्रीका भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अफ्रीकी देशों का भारत के साथ सीधा समुद्री लिंक है।
निष्कर्षत: ऐसे समय जब चीन, जिबूती में पहला विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित कर रहा है तो भारत को इस महाद्वीप के साथ संबंधों की ज़रूरतों, अनुलाभों तथा रणनीतियों से जुड़े सूत्रों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।