भारत का संविधान सामाजिक और आर्थिक न्याय का प्रावधान करता है किंतु स्वतंत्रता के बाद से ही सार्वजनिक धन के प्रभावी प्रबंधन का अभाव रहा है। इस संदर्भ मेंः
1. सार्वजनिक धन की प्रभावशीलता और उपयोगिता के संबंध में सरकार के प्रयासों को बताएँ।
2. इन प्रयासों की सफलता व असफलता को बताते हुए सुझाव प्रस्तुत करें।
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका। • सरकार के प्रयासों का उल्लेख करें। • उसकी सफलता और असफलता के संदर्भ में तर्क दें। • सुझाव तथा निष्कर्ष लिखें। |
भारत जैसे विकासशील देश में फंड सीमित है लेकिन आवश्यकताएँ असीमित। इसलिये विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सार्वजनिक धन के प्रभावी उपयोग और प्राथमिकताओं का निर्धारण किया जाना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने समय-समय पर निम्नलिखित प्रयास किये हैंः
कार्यकुशलता का मूल्यांकन - इस बात को जाँचने के लिये कि निधियों का प्रभावी प्रयोग किया जा रहा है या नहीं।
किंतु उपर्युक्त प्रयासों के बावजूद अनेक खामियाँ मौजूद हैं, जिनमें शामिल हैंः
उपर्युक्त कमियों को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित प्रयास किये जाने चाहियेः
निष्कर्षतः सार्वजनिक धन के प्रभावी प्रबंधन हेतु उपर्युक्त सुझावों को सम्मिलित करते हुए सरकार को इस संबंध में प्रयास करना होगा जिससे सामाजिक-आर्थिक न्याय की प्राप्ति द्वारा समता और लोकतांत्रिक मूल्यों को मज़बूती प्रदान की जा सकेगी।