भारत डिजिटल वित्तीय सेवाओं में सुधार के बावजूद, इस क्षेत्र में अपेक्षित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाया है, चर्चा करें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोणः
• संक्षिप्त भूमिका।
• भारत डिजिटल वित्तीय सेवाओं में सुधार के प्रमुख बिंदु।
• इस क्षेत्र की सीमायें /संबंधित समस्याएँ।
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हाल ही में ग्लोबल माइक्रोस्कोप ऑन फ़ाइनेंशियल इन्क्लूज़न ने अपनी रिपोर्ट में यह इंगित किया है कि भारत में डिजिटल वित्तीय सेवाओं में सुधार हुआ है।
भारत में डिजिटल वित्तीय समावेशन में वृद्धि के कारणः
- देश में मोबाइल फोन की व्यापक पहुँच बैंकिंग तथा भुगतान सेवाओं विस्तार के लिये एक नवोन्मेषी तथा कम लागत वाला चैनल प्रदान करती है।
- पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल वित्तीय समावेशन के प्रसार के लिये कई पहले प्रारंभ की गई, जैसे- डिजिटल इंडिया, डिजीशाला, डिजिटल जाग्रति... आदि।
- बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से भुगतान किया जाना जिसकी वजह से वंचित वर्गों ने डिजिटल वित्तीय सेवाओं का उपयोग शुरू किया।
- विमुद्रीकरण ने डिजिटल माध्यम से भुगतान को बढ़ावा दिया।
- ग्रामीण या दूरदराज़ के क्षेत्रों में बैंक शाखाओं की स्थापना करना बैंकों के लिये अलाभकर सिद्ध हो रहा है। परंपरागत बैंकिंग की सीमाओं के कारण भी डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा मिला है।
डिजिटल वित्तीय समावेशन से संबंधित समस्याएँः
- वित्तीय समावेशन की कमी।
- भारत में भुगतान व्यवस्था तथा डिजिटल वित्त का विनियमन, संस्थानों और नियम-निर्धारण करने वाले निकायों का एक जटिल जाल बना सकता है। विनियामक संबंधी यह अनिश्चितता संभावित रूप से विकास को बाधित कर सकती है।
- साक्षरता तथा समझ की कमी इस क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ी बाधा है।
- डिजिटल अवसंरचना की कमी के कारण दूरदराज़ क्षेत्र के लोगों को इससे जोड़ पाना दुष्कर है।
- कुछ व्यापारियों को यह भय रहता है कि डिजिटल बैंकिंग से जुड़ने से आशय है कि अब कराधान प्रणाली से बाहर रहने वाले छोटे व्यापारियों को भी करों का भुगतान करना होगा।