3D प्रिटिंग से आप क्या समझते हैं? भारत में इसकी संभावनाओं की चर्चा करें तथा इससे संबंधित चुनौतियों का उल्लेख करें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• संक्षिप्त भूमिका।
• 3D प्रिटिंग और भारत।
• चुनौतियाँ।
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3D प्रिटिंग मूलत: विनिर्माण की एक तकनीकी है, जिसका इस्तेमाल विनिर्माण (Three Dimensional) ऑब्जेक्ट के निर्माण के लिए किया जाता है। इसके लिये मूल रूप से डिजिटल स्वरूप में एक विनिर्माण वस्तु को डिज़ाइन किया जाता है, इसके बाद 3D प्रिंटर द्वारा उसे भौतिक स्वरूप प्रदान किया जाता है।
3D प्रिटिंग और भारत
- भारत सरकार द्वारा देश में निवेश के अवसरों को बढ़ाने तथा देश की विनिर्माण क्षमताओं को मज़बूती प्रदान करने के उद्देश्य से मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया तथा स्किल इंडिया जैसी पहलों की शुरुआत की गई।
- देश में विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से देश के प्रमुख विनिर्माताओं ने विदेशी तकनीकी फर्मों के साथ 3D प्रिटिंग एसेंम्बली लाइन तथा वितरण केंद्रों की स्थापना की है जो कि विनिर्माण क्षेत्र की क्षमताओं में वृद्धि करेगा।
- भारत में कनेक्टिविटी तथा विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने और प्रमुख शहरों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण होगा।
- भारत में 3D प्रिटिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग विमानन तथा मोटर वाहन जैसे क्षेत्रों में भी किया जा सकता है जो परिवहन क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।
- भारत एक विकासशील देश है जहाँ विनिर्माण कार्यों में अत्यंत तीव्रता की आवश्यकता है। इस दिशा में 3D प्रिटिंग सहायक सिद्ध होगी।
चुनौतियाँ:
- 3D प्रिंटरों में उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर किसी आदर्श मानक का अभाव है।
- 3D प्रिंटर के अंतर्गत उत्पादों के निर्माण में सर्वाधिक मात्रा में प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है तथा इसमें बड़े पैमाने पर बिजली की खपत भी होती है।
- भारत में न केवल इस तकनीक के विषय में जागरूकता का अभाव है बल्कि इससे संबंधित शोध कार्यों का भी अभाव, आयात लागत का अधिक होना, रोज़गार में कमी तथा 3D प्रिंटर संबंधी घरेलू निर्माताओं की कमी भी भारत में 3D प्रिटिंग की चुनौतियों को उजागर करती है।