हाल ही में भारत सरकार ने एक राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लागू करने का संकेत दिया है, राष्ट्रव्यापी NRC के पक्ष में तर्क देते हुए इसके कार्यान्वयन से संबंधित विसंगतियों का उल्लेख करें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण :
• संक्षिप्त भूमिका।
• राष्ट्रव्यापी NRC के पक्ष में तर्क।
• कार्यान्वयन संबंधी विसंगतियाँ।
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राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर सभी वैध नागरिकों (आवश्यक दस्तावेज़ धारक) की एक सूची है।
राष्ट्रव्यापी NRC के पक्ष में तर्क:
- NRC वस्तुत: देश में अवैध प्रवासन की समस्या के संदर्भ में अति-आवश्यक समाधान प्रदान करेगा। इसके सफल कार्यान्वयन से अवैध प्रवासियों द्वारा देश की जनसांख्यिकी को परिवर्तित करने तथा विभिन्न राज्यों की राजनीति को प्रभावित करने जैसी आशंकाओं को समाप्त करने में सहायता मिलेगी।
- इसकी माँग कुछ हितधारकों द्वारा भी की गई है। असम पब्लिक वर्क्स जैसे NGOs द्वारा पिछली NRC को अपग्रेड करने हेतु उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।
- नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 14A की उपधारा (1) में यह प्रावधान है कि ‘केंद्र सरकार अनिवार्यत: भारत वर्ष के प्रत्येक नागरिक को पंजीकृत करेगी एवं उसे राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करेगी।’
- भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर को तैयार करने और उसे बनाए रखने की प्रव्रिया नागरिकता (नागरिकता का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 में निर्दिष्ट है।
- NRC भविष्य में देश में प्रवेश करने वाले अवैद्य प्रवासियों को हतोत्साहित करेगा।
- यह प्रभावी सीमा प्रबंधन में एजेंसियों की सहायता कर सकता है।
कार्यान्वयन संबंधी विसंगतियाँ
- NRC, देश के सामान्य लोगों, विशेष रूप से निर्धन और अशिक्षित वर्गों के समय, धन एवं उत्पादकता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगी।
- विदेशी विषयक अधिनियम, 1946 के अंतर्गत कोई व्यक्ति नागरिक है या नहीं, यह प्रमाणित करने का उत्तरदायित्व व्यक्तिगत आवेदक पर निर्भर करता है न कि राज्य पर।
- अभी तक यह नहीं है कि इस प्रकार के कार्य को किस प्रकार संपादित किया जाएगा।