“सरकारी तंत्र की प्रभाविता तथा शासनतंत्र में जनसहभागिता का अन्योन्याश्रित संबंध है” भारत के संदर्भ में इनके मध्य के संबंधो की चर्चा कीजिए।
10 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण: भूमिका। सरकारी तंत्र की प्रभावित तथा शासनतंत्र में जन सहभागिता के अन्योन्याश्रितता के तत्व। भारतीय तंत्र में जनसहभागिता में वृद्धि के बिंदु। निष्कर्ष। |
किसी भी देश का राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक विकास सरकार एवं जनता के परस्पर सहयोग तथा सहभागिता पर आधारित होता है। शासनतंत्र में जनसहभागिता में वृद्धि होती है तो सरकारी तंत्र की प्रभाविता में भी वृद्धि होती है। इस तरह शासन तथा जनता के मध्य सहभागिता तथा संवाद की कमी शासन की प्रभाविता व समावेशी विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
स्वतंत्रता के बाद भारत में समावेशी विकास की अपेक्षा नौकरशाही, केंद्रीकरण, पारदर्शिता और जवाबदेही में कमी, भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं में वृद्धि हुई। इन्हीं समस्याओं के निराकरण और शासन की प्रभाविता में वृद्धि हेतु सहभागितामूलक लोकतंत्र की आवश्यकता महसूस की जा रही है जिसमें जनता की नीति निर्माण व उनके क्रियान्वयन में सभी स्तरों पर भागीदारी होती है।
स्वतंत्रता के बाद शासनतंत्र के निम्न स्तरों पर भारतीय तंत्र में जनसहभागिता में वृद्धि हुई है।
नए कानून तथा नीतियों की मांग: भारत में भ्रष्टाचार की समस्या के निवारण हेतु लोकपाल कानून की मांग भ्रष्टाचार निवारण में शासन की अप्रभाविता व असफलताओं को दर्शाती है, जिसके कारण जनता ने स्वयं सिविल सोसाइटियों के माध्यम से नए कानून की मांग की।
भारत में साक्षरता तथा जन-जागरूकता में वृद्धि के साथ ही जनता की सरकार व विभिन्न संसदीय व अन्य समितियों को सुझाव देने की दर में वृद्धि हुई।
नीतियों के क्रियान्वयन के स्तर पर: जन सहभागिता का सर्वाधिक लाभ इस स्तर पर देखा जा सकता है, क्योंकि इसी स्तर में लालफीताशाही, भ्रष्टाचार, अनियमितताएँ इत्यादि सर्वाधिक दुष्प्रभाव डालते हैं। सूचना का अधिकार, सिटिज़न चार्टर के माध्यम से इस स्तर पर जनसहभागिता में वृद्धि हुई है।
केरल में सामुदायिक पुलिसिंग की भावना भी इसका एक अच्छा उदाहरण है, जहाँ पुलिस व जनसहभागिता से अपराध व नागरिक समस्याओं के समाधान का प्रयत्न किया जा रहा है।
शासन व जनता में संवाद: जन सहभागिता से शासन व जनता के मध्य संवाद सुनिश्चित होता है, जिससे दोनों में परस्पर विश्वास और सहयोग की भावना को बल मिलता है। साथ ही समस्याओं के निराकरण हेतु नए-नए सुझाव व विकेंद्रीकृत स्तरों पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र का भी अनुभव होता है।
जन सहभागिता से वृद्धि में उत्तरदायी तथा जवाबदेह शासन एवं प्रशासन की भावना को बल मिला है। साथ ही विशिष्ट व स्वार्थी समूहों की नीति-निर्माण व प्रशसन में दखलअंदाज़ी में भी कमी आई है जिससे देश समावेशी विकास के पथ पर अग्रसर हुआ है। अत: स्पष्ट है कि सरकारी तंत्र की प्रभाविता तथा शासकीय तंत्र में सहभागिता का अन्योन्याश्रित संबंध है।