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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

     ‘इस दुर्दशा का व्यापार के इतिहास में कोई दूसरा जोड़ नहीं है। भारतीय बुनकरों की हड्डियाँ भारत के मैदानों में बिखरी पड़ी हैं’ कथन का विश्लेषण करें।

    08 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण :

    • भूमिका।

    • भारत में परंपरागत हस्तशिल्प उद्योग का ह्यस क्यों हुआ।

    • भारत एक संपूर्ण निर्यातक से संपूर्ण आयातक देश कैसे बना ।

    • निष्कर्ष।

    भारत में आरंभिक आक्रमणकारियों तथा ब्रिटिश साम्राज्यवादियों में मुख्य अंतर यह था कि अंग्रेजों के अतिरिक्त किसी अन्य प्रारंम्भिक आक्रमणकारी ने न तो भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना में परिवर्तन किया और न ही धन की निरंतर निकासी का सिंद्धांत अपनाया। भारत में ब्रिटिश शासन के फलस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था, उपनिवेशी अर्थव्यवस्था में रूपांतरित हो गई तथा भारतीय अर्थव्यवस्था की सभी नीतियाँ एवं कार्यक्रम उपनिवेशी हितों के अनुरूप बनने लगे।

    1813 के चार्टर एक्ट द्वारा ब्रिटिश नागरिकों को भारत से व्यापार करने की छूट मिलने के कारण भारतीय बाजार सस्ते तथा मशीन निर्मित आयातित वस्तुओं से भर गया। दूसरी ओर, भारतीय उत्पादों के लिये यूरोपीय बाज़ारों में प्रवेश करना अत्यंत कठिन हो गया ।

    1820 के पश्चात् तो यूरोपीय बाजार भारतीय उत्पादों के लिये लगभग बंद ही हो गए। भारत में रेलवे के विकास ने यूरोपीय उत्पादों को भारत के दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुँचने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    भारत में परंपरागत हस्तशिल्प उद्योग का ह्यस इसलिये नहीं हुआ कि यहाँ औद्योगीकरण या औद्योगिक क्रांति हुई। बल्कि यह ह्यस अंग्रेजी माल के भारतीय बाजारों में भर जाने से हुआ, क्योंकि हस्तशिल्प, अंग्रेज़ों के सस्ते माल का मुकाबला नहीं कर सका। यह वह समय था जब एक ओर भारतीय हस्तशिल्प उद्योग तेज़ी से पतन की ओर अग्रसर था तथा वह अपनी मृत्यु की कगार पर पहुँच गया था, वहीं दूसरी ओर इस काल में इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति तेजी से पैर जमा रही थी तथा देश का तेजी से औद्योगीकरण हो रहा था। इस समय भारतीय दस्तकार और शिल्पकार पर्याप्त संरक्षण के अभाव में विषम परिस्थितियों के दौर से गुज़र रहे थे। वहीं नए पाश्चात्य अनुप्रयोगों तथा तकनीक ने उनके संकट को और गंभीर बना दिया।

    अंग्रेज़ों की शोषणकारी तथा भेदभावमूलक नीतियों के कारण बहुत से भारतीय दस्तकारों ने अपने परंपरागत व्यवसाय को त्याग दिया तथा वे गाँवों में जाकर वे खेती करने लगे। धीरे-धीरे भारत एक संपूर्ण निर्यातक से संपूर्ण आयातक देश बन गया।

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