पूर्वोत्तर भारत अक्सर आंतरिक तनावों के कारण चर्चा में रहता है, ‘एक ओर इसका कारण नृजातीय विविधता को माना जाता है तो दूसरी ओर स्वयं की भारत से अलगाव की भावना को।’ कथन को स्पष्ट करते हुए, इस स्थिति में सुधार हेतु अपेक्षित उपायों की चर्चा कीजिये।
06 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा
हल करने का दृष्टिकोण; • पूर्वोत्तर भारत के संदर्भ में संक्षिप्त भूमिका। • भारत के लिये पूर्वोत्तर क्षेत्र के महत्त्व के बारे में संक्षेप में लिखें। • पूर्वाेत्तर भारत की नृजातीय विविधता और शेष भारत से अलगाववादी प्रवृत्ति के बारे में लिखें। • इन स्थितियों का उपयुक्त समाधान बताएँ एवं सरकार द्वारा इस संदर्भ में किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख करें। |
भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र विविध परिप्रेक्ष्यों में महत्त्वपूर्ण है। जहाँ एक तरफ यहाँ की सांस्कृतिक विविधता भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है, वहीं चीन, म्याँमार और बांग्लादेश के साथ सीमा साझेदारी के कारण भी इस क्षेत्र का महत्त्व बढ़ जाता है। ऐसे में इस क्षेत्र का तनावग्रस्त होना भारत की आंतरिक सुरक्षा तथा विकास दोनों के लिए उचित नहीं।
नृजातीय विविधता के संदर्भ में निम्नलिखित कारक हैंः
इन परिस्थितियों में पूर्वोत्तर क्षेत्र के संदर्भ में ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता है। यह कार्रवाई संरचनात्मक और गुणात्मक दोनों परिप्रेक्ष्यों में महत्त्वपूर्ण साबित होगी।
पूर्वाेत्तर क्षेत्र में आतंरिक तनावों से निपटने के लिये प्रभावी अपेक्षित उपाय निम्निलिखित हैं-
कुल मिलाकर पूर्वाेत्तर भारत को भारत के अभिन्न अंग के रूप में और विकास करने की आवश्यकता है। साथ ही यहाँ विद्यमान तनाव के कारणों को आपसी समन्वय से दूर करने की आवश्यकता है तभी भारत का संपूर्ण विकास हो सकता है।