CTBT पर हस्ताक्षर करने से भारत को कौन-कौन से लाभ हैं? अभी तक भारत के इससे अलग रहने के कारणों पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• CTBT क्या है?
• हस्ताक्षर करने के पश्चात् भारत को होने वाले सम्भावित लाभ क्या होंगे?
• हस्ताक्षर न करने के सन्दर्भ में भारत का दृष्टिकोण क्या है?
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CTBT सभी तरह के परमाणु परीक्षणों (सैन्य तथा असैन्य) को प्रतिबंधित करने वाली एक बहुपक्षीय संधि है। इस संधि को भेदभाव पूर्ण मानते हुए भारत ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया है।
हस्ताक्षर से होने वाले संभावित लाभ:
- इस संधि में शामिल होकर भारत दक्षिण एशिया में बढ़ रही परमाणु प्रतिस्पर्द्धा को रोकने में सहयोग कर सकता है।
- क्योंकि भारत CTBT का हस्ताक्षरकर्त्ता देश नहीं है इसलिये चीन NSG में भारत के प्रवेश का विरोध कर रहा है। CTBT पर हस्ताक्षर करके भारत NSG में शामिल हो सकता है।
- संधि पर हस्ताक्षर करने से भारत विश्व के विभिन्न वैज्ञानिकों का सहयोग लेने में भी सक्षम होगा।
संधि में शामिल न होने के संदर्भ में भारत के तर्क:
- चूँकि यह संधि विश्व को परमाणु तकनीकी से युक्त तथा परमाणु तकनीक से रहित देशों को विभाजित करती है।
- संधि द्वारा परमाणु तकनीक से रहित देशों के परमाणु कार्यक्रमों को प्रारंभिक स्तर पर ही रोक दिया जाएगा जबकि परमाणु संपन्न राष्ट्रों द्वारा संधि पर हस्ताक्षर करने से पूर्व ही कई बार परमाणु परीक्षण किया जा चुका है।
- भारत का मानना है कि परमाणु परीक्षण पर रोक लगाने की बजाए परमाणु नि:शस्त्रीकरण पर बल दिया जाना अधिक आवश्यक है।
- भारत का तर्क यह भी है कि उसके पड़ोसी देश चीन तथा पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। भारत द्वारा इस संधि पर हस्ताक्षर करने का अर्थ भारत में परमाणु विकास तथा परीक्षण की संभावनाओं को समाप्त करना है। इससे भारत सुरक्षा की दृष्टि से भी कमज़ोर हो जाएगा।
- भारत का ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु दृढ़ संकल्प है। ऐसे में परमाणु ऊर्जा उत्पादन के विकल्प को वह महत्त्वपूर्ण मानता है।