रोज़गारविहीन आर्थिक संवृद्धि भारत के युवाओं के लिये हमेशा मुश्किल खड़ी करती रही है। रोज़गारविहीन आर्थिक संवृद्धि के कारणों को बताते हुए इस मुद्दे के समाधान के लिये उपाय सुझाइये। (150 शब्द)
13 Dec, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
प्रश्न विच्छेद • रोज़गारविहीन आर्थिक वृद्धि का युवाओं पर प्रभाव। • रोज़गारविहीन आर्थिक वृद्धि का कारण एवं इसके निवारण के उपाय। हल करने का दृष्टिकोण • रोज़गारविहीन आर्थिक वृद्धि को स्पष्ट करें। • रोज़गारविहीन आर्थिक वृद्धि के कारण एवं युवाओं पर पड़ने वाले प्रभाव बताएँ। • रोज़गारविहीन आर्थिक वृद्धि को दूर करने के उपाय बताते हुए अंत में निष्कर्ष लिखें। |
रोज़गारविहीन आर्थिक वृद्धि का तात्पर्य सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की तुलना में रोज़गार सृजन कम होना है। आर्थिक सिद्धांत यह मानता है कि जिस देश का सकल घरेलू उत्पाद तेज़ी से बढ़ता है वहाँ रोज़गार सृजन उसी अनुपात में तीव्रता से होता है। परंतु कई कारणों से भारत में यह संभव नहीं हुआ, जिसका दुष्परिणाम विशेषकर युवाओं पर पड़ता है।
एनएसएसओ (NSSO) तथा लेबर ब्यूरो के आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि पिछले डेढ़ दशक में भारत की जीडीपी जिस गति से आगे बढ़ी है उस गति से रोज़गार में वृद्धि नहीं हुई है।
रोज़गारविहीन इस विकास के निम्नलिखित कारण हैं:
उपर्युक्त कारणों से भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड का बेहतर दोहन नहीं किया ज़ा सका। भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी 35 वर्ष से कम की है। यह युवा ऊर्ज़ा बेहतर रोज़गार के अभाव में जड़ता एवं अवसाद की शिकार हो रही है, जिसके कारण वह आपराधिक गतिविधियों की तरफ ज़्यादा उन्मुख हो रही है। कश्मीर में युवाओं द्वारा पैसे लेकर पत्थर फेंकना इसका प्रमुख उदाहरण है।
रोज़गारविहीन संवृद्धि के मुद्दों के समाधान के लिये कई प्रयास किये जाने चाहिये, जैसे- श्रम कानूनों का सरलीकरण, शिक्षा को रोज़गार उन्मुख बनाने पर बल, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के विकास पर बल, पूंजी प्रधान उद्योगों की बजाय श्रम प्रधान उद्योगों को ज़्यादा वरीयता प्रदान करना आदि।
सरकार ने रोज़गार सृजन के लिये ‘मेक इन इंडिया, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप एवं स्टैंडअप जैसे कार्यकमों को शुरू किया है।
वस्ततु: रोज़गारविहीन संवृद्धि देश के डेमोग्राफिक लाभांश के सदुपयोग में बाधा पहुँचाती है, जिससे युवाओं में निराशा पनपती है। अत: आवश्यक उपायों को अपनाकर आर्थिक संवृद्धि एवं रोज़गार सृजन के अनुपात को संतुलित करना चाहिये।