केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में बढ़ती अलगाववादी हिंसक घटनाओं पर अंकुश लगाने, राज्य के पथ-भ्रष्ट युवाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने एवं वहाँ के विभिन्न समूहों के मध्य सामंजस्य स्थापित करने हेतु आपको अपना वार्ताकार नियुक्त किया है। आप वहाँ जाकर विद्यमान परिस्थिति का अवलोकन कर विभिन्न लोगों एवं समूहों के साथ कई दौर की वार्त्ताएँ एवं संवाद करते हैं। आप पाते हैं कि कुछ समूह अपनी पाकिस्तान परस्त मानसिकता को त्यागने के लिये राजी नहीं हैं, साथ ही कई राजनितिक दल अपनी विभाजनकारी राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं। उक्त परिस्थितियों में आपके समक्ष कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं और इस संबंध में आप सरकार को क्या सुझाव प्रस्तुत करेंगे? (250 शब्द)
12 Dec, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
प्रश्न विच्छेद प्रश्न अलगाववादी समूहों से बातचीत के लिये सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकार के समक्ष मौजूद चुनौतियों से संबंधित है। हल करने का दृष्टिकोण एक वार्ताकार के रूप में कश्मीर समस्या से जुड़े विभिन्न पक्षों की पहचान करें। वार्ता के दौरान मौजूद चुनौतियों का उल्लेख करें। इन चुनौतियों से निपटने के लिये संभावित सुझावों की चर्चा करें। |
कश्मीर समस्या स्वतंत्र भारत की सबसे जटिल समस्याओं में से एक है। पिछले ढाई दशकों से भी अधिक समय से कश्मीर में अलगाववादी संगठनों के प्रभाव के कारण हिंसा व अराजकता फैली हुई है, जिसमें समय-समय पर अत्यधिक उभार देखा जाता है।
उपरोक्त वर्णित केस स्टडी में मुख्यत: तीन पक्ष हैं: पहला कश्मीर की जनता, दूसरा भारत सरकार और तीसरा कश्मीर के विभिन्न संगठन। भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मेरा दायित्व है कि कश्मीर में शांति बहाल करने के लिये विभिन्न पक्षों की जायज़ मांगों को ध्यान में रखते हुए उनको समझौते के लिये तैयार करना।
उक्त परिस्थिति में मेरे समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ निम्नांकित हैं:
उपरोक्त चुनौतियों से निपटने के लिये मैं सरकार को निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत करूंगा/करुंगी: