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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आंचलिक होते हुए भी मैला आँचल अपनी आंचलिकता का अतिक्रमण करता है और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य का साक्षात्कार करता है। आप इस मत से कहाँ तक सहमत हैं?

    11 Dec, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    उत्तर: आंचलिक उपन्यास के रूप में मैला आँचल की सफलता का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण उसकी भाषा-शैली को ही माना जाता है। रेणु ने भाषा के स्तर पर अद्भुत प्रयोगशीलता का परिचय देते हुए नई सृजनात्मक उपलब्धि हासिल की है जिसकी विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

    • मैला आँचल में सामान्यत: देशज भाषा का प्रयोग किया गया है क्योंकि आंचलिक संस्कृति में देशज शब्दावली केंद्र में होती है। इसके अतिरिक्त, तद्भव शब्दावली का प्रयोग भी पर्याप्त मात्रा में किया गया है। उदाहरण के लिये:

    ‘‘तहसीलदार साहब की बेटी कमली जब गमकौआ साबुन से नहाने लगती है तो सारा गाँव गम-गम करने लगता है।’’

    अंग्रेज़ी के बहुत से शब्दों का प्रयोग किया गया है परंतु रेणु उन शब्दों को भी आंचलिक तेवर के साथ लाए हैं। उदाहरण के लिये- भैंसचरमन (Vice Chairman), रायबरेली (Library), पुलोगराम (Programme)।

    उपन्यास में कहीं-कहीं मानक भाषा का प्रयोग हुआ है जिसमें न सिर्फ तत्सम शब्दावली बल्कि संस्कृत की परिनिष्ठित शब्दावली भी आई है। तत्सम भाषा का एक उदाहरण इस प्रकार है:

    ‘‘वेदांत ........ भौतिकवाद ........ सापेक्षवाद ........ मानवतावाद ........ हिंसा से जर्जर प्रकृति रो रही है।

    • रेणु ने आंचलिक शैली का निर्वाह करते हुए लोकगीत तथा लोक संगीत के तत्त्व को उपन्यास में काफी अधिक स्थान दिया है। भउजिया के गीत, बिदापत के नृत्य और जाट-जटिेन के खेल जैसे प्रसंगों में बहुत से लोकगीत आए हैं।
    • आंचलिक भाषा शैली की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण विशेषता होती है- मुहावरेदार भाषा का प्रयोग। मैला आँचल में जगह-जगह पर ऐसी भाषा दिखाई पड़ती है। उदाहरण के लिये:

    ‘‘माघ का जाड़ा तो बाघ को भी ठंडा कर देता है।’’

    आंचलिक भाषा शैली की एक और महत्त्वपूर्ण विशेषता है- शब्दों में निहित ध्वन्यात्मकता या नादात्मक क्षमता का प्रयोग। उदाहरण के लिये:

    1. डिम-डिमिक-डिमिक
    2. गिड़ गिड़ गिड़ धा, गिड़धा गिड़धा
    • रेणु ने प्रतीकात्मक भाषा का भी काफी प्रयोग किया है। कहीं-कहीं उनकी भाषा में प्रतीक और अप्रस्तुत इस प्रकार शामिल हो जाते हैं कि गद्य में पद्य की सुंदरता उत्पन्न होने लगती है। मैला आँचल का डॉ. प्रशांत ऐसी ही भाषा में कहता है-

    ‘‘मैं प्यार की खेती करना चाहता है। आँसू से भीगी हुई धरती पर प्यार के पौधे लहलहाएँगे।’’

    • रेणु ने न सिर्फ अंचल के भूगोल के सुंदर बिंब बनाए हैं बल्कि विभिन्न चरित्रों को भी बिंबों में उतार दिया है। उदाहरण के लिये-

    ‘‘गणेश की नानी बुढ़ापे में भी जिसकी सुंदरता नष्ट नहीं हुई, जिसके चेहरे की झुर्रियों ने एक नई खूबसूरती ला दी है। सिर के सफेद बालों के घुँघराले लट। होंठो की लाली ज्यों की त्यों है।’’

    • आंचलिक जीवन में हास्य और व्यंग्य की उपस्थिति क्षण-क्षण महसूस की जा सकती है। रेणु ने हास्य-व्यंग्य का बहुत अधिक प्रयोग किया है।
    • रेणु ने भाषा-शैली के स्तर पर एक विशेष प्रयोग चेतना प्रवाह शैली का किया है। रेणु ने कमली की मन:स्थिति दिखाने के लिये इस शैली का प्रयोग किया है।

    स्पष्ट है कि मैला आँचल की भाषा-शैली आंचलिकता के तत्त्व को पूरी तन्मयता से धारण करती है। यदि मैला आँचल आज तक सर्वश्रेष्ठ आंचलिक उपन्यास माना जाता है तो उसका एक बड़ा कारण यह भाषा-शैली ही है।

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