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प्रश्न :
अमीरों की पितृसत्तात्मक मानसिकता रजिया सुल्तान के शांतिपूर्ण शासन के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा थी। टिप्पणी करें।
06 Dec, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहासउत्तर :
प्रश्न विच्छेद
कथन रजिया सुल्तान के शासन के मार्ग में अमीरों की भूमिका से संबंधित है।
हल करने का दृष्टिकोण
अमीरों की भूमिका के बारे में संक्षिप्त उल्लेख के साथ परिचय लिखिये।
रजिया सुल्तान के शासनकाल में अमीरों द्वारा खड़ी की जाने वाली बाधाओं का उल्लेख कीजिये।
उचित निष्कर्ष लिखिये।
इल्तुतमिश ने अपनी पुत्री रजिया के उत्तराधिकार को निश्चित करने के पश्चात् अपने अमीरों एवं उलेमाओं को राजी किया था लेकिन इल्तुतमिश के मरणोपरांत अमीरों की भूमिका निहित स्वार्थों के चलते व्यापक रूप से परिवर्तित हो गई।
रजिया सुल्तान के शासनकाल में अमीरों की सोच के चलते खड़ी होने वाली बाधाएँ निम्नलिखित हैं:
- तुर्क अमीर, रजिया द्वारा सत्ता के प्रत्यक्ष प्रयोग एवं संचालन करने की इच्छा और दृढ़ता से असंतुष्ट थे। रजिया औरत होते हुए भी अमीरों के हाथों की कठपुतली बनने के लिये तैयार नहीं थी जिससे वे उसे अपने बस में नहीं रख सकते थे।
- बरनी के अनुसार, तुर्कान-ए-चहलगानी के अमीर एक-दूसरे के समक्ष झुकने को तैयार नहीं थे और क्षेत्र (इक्ता), शक्ति, पद एवं सम्मान के वितरण में समानता की महत्त्वाकांक्षा रखते थे, जिसे व्यावहारिक नहीं माना जा सकता।
- रजिया ने तुर्क अमीरों की महत्त्वाकांक्षा पर नियंत्रण के लिये गैर-तुर्कों को प्रतिष्ठित करने एवं अपना एक अलग दल तैयार करने का प्रयास किया जिस कारण वह तुर्क अमीरों में अप्रिय हो गई।
- रजिया ने महिलाओं की वेशभूषा को त्यागकर पुरुषों के कबा और कुलाह को अपनाया, बिना बुर्का डाले दरबार में बैठकों का आयोजन एवं शिकार करने लगी, जिसे तुर्क सरदारों ने नारी मर्यादा का उल्लंघन बताया।
यद्यपि रजिया का विरोध शुरू से ही पितृसत्तात्मक मानसिकता के चलते जातीय आधार पर किया गया था लेकिन सच तो यह है कि तुर्की अमीरों के असंतोष का प्रमुख कारण रजिया द्वारा सत्ता का प्रत्यक्ष प्रयोग व संचालन करने की इच्छा और दृढ़ता थी। इसके बाद अमीरों ने सुल्तानों को चुनने और पदच्युत करने का अधिकार पूर्णत: अपने हाथों में ले लिया।
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