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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    वर्तमान परिदृश्य में नि:शक्तता के विभिन्न आयामों को समझाइये तथा नि:शक्तजनों के सशक्तीकरण के मार्ग में विद्यमान चुनौतियों को स्पष्ट करते हुए उपयुक्त समाधान भी बताइये। (250 शब्द)

    06 Dec, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    नि:शक्तता के विभिन्न आयामों को बताइये।

    नि:शक्तजनों के सशक्तीकरण के मार्ग में विद्यमान चुनौतियों व समाधान के उपायों को बताइये।

    हल करने का दृष्टिकोण

    नि:शक्तता से क्या आशय है, स्पष्ट करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिये।

    इसके विभिन्न आयामों को बताइये।

    नि:शक्तजनों के सशक्तीकरण के मार्ग में विद्यमान चुनौतियों को स्पष्ट करिये।

    उपयुक्त समाधान बताइये।

    प्रभावी निष्कर्ष लिखिये।

    नि:शक्तजन अधिनियम, 1995 के तहत अस्थिबाधित, दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित एवं मानसिक रूप से अविकसित बालक/बालिकाओं/व्यक्तियों को नि:शक्तजन की श्रेणी में रखा गया है। प्रारंभ से ही समाज का यह वर्ग उपेक्षित रहा है जिसे समाज की मुख्य धारा में जोड़ने व आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से केंद्र व राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर कई महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गए हैं जिनमें नि:शक्तजन अधिकार अधिनियम- 2016, इंदिरा गांधी विकलांग पेंशन योजना, राष्ट्रीय विकलांग पुरस्कार योजना, नि:शक्त विद्यार्थियों के लिये छात्रवृत्ति योजना इत्यादि प्रमुख रूप से शामिल हैं। वर्तमान समय में उपरोक्त योजनाओं का लाभ नि:शक्तजनों तक त्वरित व परदर्शी तरीके से पहुँचाने के उद्देश्य से इन वर्गों को निम्नलिखित आयामों में वर्गीकृत करने पर विचार किया गया है-

    • नि:शक्तजनों की जनसंख्या का निर्धारण।
    • रोज़गार दिये जाने योग्य शिक्षित बेरोज़गार नि:शक्तजन का निर्धारण।
    • नि:शक्त बच्चों के माता-पिता बीपीएल के अंतर्गत आते हैं या नहीं।
    • गंभीर रूप से नि:शक्तजन जिन्हें निरंतर सहायता की आवश्यकता है।
    • 60 वर्ष से अधिक आयु के नि:शक्तजन।
    • नि:शक्त महिलाएँ।
    • असंगठित क्षेत्रों में कार्य करने वाले नि:शक्तजन।

    सशक्तीकरण के मार्ग में विद्यमान चुनौतियाँ:

    • नि:शक्तजनों की सामाजिक व शारीरिक बाधाओं के कारण अधिकांश सामाजिक योजनाएँ इन वर्गों तक नहीं पहुँच पाती हैं।
    • इन वर्गों के लिये उपलब्ध सहायता कार्यक्रम कवरेज में समावेशी तत्त्वों का पूर्ण अभाव है।
    • सूचना का अभाव एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।
    • प्रशासनिक प्रबंधन संतोषजनक नहीं है।
    • मंत्रालय व विभागों की इन वर्गों के प्रति उदासीनता भी एक प्रमुख चुनौती के रूप में विद्यमान है।

    समाधान के उपाय:

    • नि:शक्तजनों के लिये संचालित किये जा रहे कार्यक्रमों की देख-रेख करने वाली सभी एजेंसियों व विभागों को एक साथ समेकित किया जाना चाहिये।
    • नि:शक्तजनों के लिये निर्धारित विभिन्न आयामों के अनुसार योजनाओं के डिज़ाइन व संचालन पर बल देने की आवश्यकता है।
    • इन वर्गों के लिये चलाए जा रहे कार्यक्रमों व योजनाओं की त्वरित सूचना की व्यवस्था करनी चाहिये।
    • प्रशासनिक प्रबंधन में आवश्यक सुधार पर बल देने की भी आवश्यकता है।
    • स्थानीय, राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से अधिक संसाधनों को एकत्रित करने पर बल देने की आवश्यकता।

    इस प्रकार उपरोक्त समाधानों के माध्यम से नि:शक्तजनों के समक्ष विद्यमान चुनौतियों से निपटा जा सकता है और भारत में सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है।

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