परीक्षण करें कि किस प्रकार योजना आयोग को नीति आयोग से प्रतिस्थापित करके, देश की विकास प्रक्रिया के एक पूर्णत: नए उपागम का सूत्रपात किया गया है? नीति आयोग ने अभी तक इस दिशा में किस प्रकार कार्य किया है? (250 शब्द)
उत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• योजना आयोग की जगह नीति आयोग को लाना किस प्रकार विकास प्रक्रिया में नई पहल है? नीति आयोग के कार्यों से यह कैसे सिद्ध होता है? इस पर चर्चा करनी है।
हल करने का दृष्टिकोण
• योजना आयोग-सामान्य परिचय व सीमाएँ।
• यह किस प्रकार योजना आयोग से भिन्न व ज़्यादा प्रभावकारी है।
• निष्कर्ष दीजिये।
|
स्वतंत्रता के बाद संविधान में उल्लेखित नीति-निर्देशक तत्त्वों के लक्ष्यों को पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से प्राप्त करने व समाज के सभी वर्गों तक विकास का लाभ पहुँचाने के लिये योजना आयोग का गठन 1950 में किया गया तथा इसके निम्नलिखित उद्देश्य तय किये गए:
- देश के भौतिक व मानव संसाधन का आकलन तथा उनका देश के विकास में प्रयोग।
- यदि संसाधनों का अभाव हो, तो संसाधनों की व्यवस्था करना।
- प्राथमिकता के आधार पर विभिन्न चरणों में योजनाओं का कार्यान्वयन व मॉनीटरिंग।
- आर्थिक विकास की गति मंद करने वाले कारकों की पहचान करना व उन्हें निष्प्रभावी करना।
उपरोक्त लक्ष्यों को पूरा करने के लिये ज़रूरी सिफारिशें व परिवर्तन के सुझाव देना।
कालांतर में लगातार इसका अधिकार क्षेत्र बढ़ाया भी जाता रहा। विभिन्न मंत्रालयों के कार्यक्रमों की मॉनीटरिंग तक का ज़िम्मा योजना आयोग को दिया गया। परंतु दीर्घकालिक संदर्भो में कुछ नकारात्मक प्रभाव सामने आए-
- योजना आयोग ने सभी राज्यों के लिये एक ही मानक को अपनाया, अत: राज्यों से विचार- विमर्श को अधिक महत्ता नहीं दी गई, जबकि प्रत्येक राज्य की स्थिति व समस्याएँ विशिष्ट हैं।
- यह विभिन्न विभागों के बीच सामंजस्य बनाने में असफल रहा। अधिक सख्त नियंत्रण व सरकारी प्रक्रियाओं तथा कानूनों की जटिलता दूर कर पाने में इसकी अक्षमता से निवेश प्रभावित हुआ यथा- भूमि सुधार, श्रम सुधार, अवसंरचना विकास, औद्योगीकरण व रोज़गार तथा क्षमता निर्माण आदि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
- आज़ादी के 70 वर्षों बाद भी गरीबी, भूख, स्वास्थ्य सुरक्षा न होना, अशिक्षा और ग्रामीण विकास का निचला स्तर विद्यमान होना।
2014 में गठित नीति आयोग योजना आयोग से निम्न रूप में अलग है:
- योजना आयोग द्वारा राशि का आवंटन व प्रोजेक्ट कार्यान्वयन की मॉनीटरिंग के स्थान पर नीति निर्माण, शोध नवाचार व थिंक-टैंक की भूमिका नीति आयोग में अधिक है।\
- क्षेत्र विशेष के अनुसार, योजनाएँ बनाना, न कि सभी राज्यों के लिये एक ही मानक अपनाना। राज्यों की भूमिका बढ़ाना- सहकारी संघवाद व प्रतिस्पर्द्धी संघवाद की ओर गमन जो योजना आयोग के ‘सुपर-कैबिनेट’ की भूमिका तथा प्रति संघवादी स्वरूप के बिल्कुल विपरीत व राज्यों द्वारा समर्थित है।
- निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देना व सरकारी प्रक्रियाओं व कानूनी जटिलताओं का निराकरण करना। इस प्रकार तकनीकी उद्यमितापूर्ण सक्षम मानव संसाधन तैयार करना जो अपने उन्नयन हेतु सरकार की दया पर निर्भर न रहे।
- यदि नीति आयोग के कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य देखें तो वे इसी दिशा में किये गए दिखते हैं- जैसे
- कृषि क्षेत्र में मॉडल कृषि भूमि पट्टा कानून का सुझाव।
- APMC एक्ट में सुधार किया जाना व नया APMC एक्ट लाना तथा ग्रामीण आनलाइन हाट (GRAM) की संकल्पना।
- मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को समाप्त कर राष्ट्रीय मेडिकल आयोग की स्थापना का सुझाव।
- अर्थव्यवस्था में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना जिसमें भीम एप का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल शामिल।
- अटल नवाचार मिशन, अटल टिंकरिंग लैब जैसे प्रयास किया जाना आदि।
नीति आयोग की कार्यप्रणाली एवं उसके अब तक के प्रयास निश्चित रूप से एक अभिनव प्रयोग सिद्ध हुआ है। इसके इसी प्रकार कार्य करते रहने के लिये आवश्यक है कि यह अपना लोकतांत्रिक स्वरूप बनाए रखे तथा नवाचारी प्रयासों को प्रोत्साहित करे।