दल-बदल की राजनीति को नियंत्रित करने वाले संवैधानिक प्रावधानों की चर्चा करें। क्या ये प्रावधान अपने उद्देश्यों में सफल रहे हैं?
06 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा
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भारतीय संविधान में सन् 1985 में 52वें संविधान संशोधन के माध्यम से अवसरवादी राजनीति को नियंत्रित करने हेतु दल-बदल के आधार पर सदस्यों के लिये निरर्हता का प्रावधान किया गया है। इस संशोधन के माध्यम से संविधान के चार अनुच्छेदों (101,102, 190 और 191) को बदल दिया गया और दसवीं अनुसूची जोड़ी गई।
दसवीं अनुसूची के अंतर्गत निम्नलिखित निरर्हता के प्रावधान हैं-
इस कानून के कुछ अपवाद भी हैं-
निश्चित रूप से दसवीं अनुसूची के प्रावधानों ने धन या पद लोलुपता के कारण की जाने वाली अवसरवादी राजनीति पर लगाम कसी है। इसके माध्यम से राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा मिला है और अनियमित चुनाव के द्वारा होने वाले अप्रगतिशील व्यय भी नियंत्रित हुआ है। साथ ही इसने राजनीतिक दलों की प्रभाविता में वृद्धि की है और प्रतिनिधि केंद्रित व्यवस्था को कमज़ोर किया है। यद्यपि यह प्रावधान संविधान में दल-बदल को नियंत्रित करने की पहल करता है, लेकिन इसकी सफलता राजनीतिक दलों व नेताओं की गतिविधियों पर निर्भर करती है।