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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    गांधीजी को एक जन नेता के रूप में स्थापित करने में चंपारण सत्याग्रह के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)

    30 Nov, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    • चंपारण सत्याग्रह ने किस प्रकार गांधी को जन-नेता के रूप में स्थापित कर दिया, इस संबंध में उल्लेख करना है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • सर्वप्रथम भूमिका लिखें।

    • चंपारण सत्याग्रह व गांधी की भूमिका का विश्लेषण कीजिये।

    • उचित निष्कर्ष लिखें।

    दक्षिण अफ्रीका से भारत आगमन के साथ ही गांधीजी ने संपूर्ण भारत के भ्रमण को प्राथमिकता दी तथा जनता की मनोदशा को समझने का प्रयत्न किया। इसी दौरान गांधी ने आम जनता को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ने तथा दमनात्मक कार्यवाही को सहन करने की जनमानस की क्षमता का भी अवलोकन किया। इसी संदर्भ में गांधीजी का भारत में प्रथम सत्याग्रह चंपारण में संपन्न हुआ, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को गांधी जैसा जन-नेता प्रदान किया।

    चंपारण के नीलहों का मामला 19वीं शताब्दी से चला आ रहा था। तिनकठिया पद्धति के अंतर्गत कृषकों को 3/20वें हिस्से पर नील की खेती अनिवार्य रूप से करनी होती थी। लेकिन जब रासायनिक रंगों की खोज कर ली गई तब नील की खेती अनावश्यक हो गई। लेकिन अंग्रेज़ों ने किसानों का शोषण करने के लिये उन्हें नील अनुबंध से मुक्त करने के एवज में लगान व गैर-कानूनी करों की दरों में अत्यधिक वृद्धि कर दी। इसी शोषण से मुक्ति पाने के लिये 1917 में चंपारण के आंदोलनकारी राजकुमार शुक्ल ने गांधीजी को चंपारण बुलाने का फैसला किया।

    गांधीजी के चंपारण पहुँचने के साथ ही तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर ने उन्हें चंपारण से चले जाने का आदेश दिया लेकिन गांधी ने आदेश को मानने के स्थान पर दंड को भुगतने का फैसला किया। गांधीजी का उपर्युक्त निर्णय तिलक व बेसेन्ट जैसे नेताओं के लिये नया था क्योंकि अभी तक राष्ट्रवादी नेता विरोध के साथ-साथ आदेश का पालन भी करते थे लेकिन गांधी ने किसी अनुचित आदेश के शांतिपूर्ण ढंग से प्रतिरोध व अवज्ञा की रणनीति अपनाकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सत्याग्रह की नींव रखी। ब्रिटिश प्रशासन द्वारा गांधीजी के मुद्दे को ज़्यादा तूल न देकर उन्हें चंपारण जाने की छूट दे दी गई, यह गांधीजी की जीत थी।

    चंपारण में प्रवेश के दौरान गांधी जी अपने सहयोगियों ब्रज किशोर, राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई, जे.बी. कृपलानी, नरहरि पारेख आदि के साथ सवेरे गाँव की और निकल जाते तथा गाँवों में घूम-घूम कर ग्रामीणों से पूछताछ करते और बयान दर्ज करते। इसी दौरान ब्रिटिश सरकार ने चंपारण मामले की जाँच के लिये आयोग गठित किया, जिसमें गांधीजी को भी सदस्यता प्रदान की गई। गांधीजी के पास आठ सौ किसानों के बयान दर्ज थे, जिसके आधार गांधीजी ने तिनकठिया पद्धति को समाप्त करने तथा किसानों से की गई अवैध वसूली के बदले में क्षतिपूर्ति की बात रखी। बागान मालिक अवैध वसूली का 25 फीसदी वापस करने को तैयार हो गए तथा 10 वर्षों के भीतर ही उन्होंने चंपारण भी छोड़ दिया।

    इस प्रकार चंपारण सत्याग्रह ने गांधी को जनता के मध्य पहुँचा दिया तथा उन्होंने जनता की मांगों व तकलीफों को जानकर ब्रिटिश सरकार के समक्ष मज़बूती से जनता के पक्ष को रखने का कार्य किया। इसके अलावा गांधीजी की सत्याग्रह व शांतिपूर्ण विरोध की रणनीति ने भी गांधी को जनमानस के निकट पहुँचा दिया। फलस्वरूप राष्ट्रीय आंदोलन में गांधीजी जन-नेता के रूप में स्थापित हो गए।

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