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प्रश्न :
सुस्पष्ट कीजिये कि आज भारतीय कृषि जिन संस्थागत एवं संरचनात्मक बाधाओं से जूझ रही है, उसमें सरकार द्वारा किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य किस प्रकार से एक गंभीर चुनौती है? इस संबंध में सरकार द्वारा घोषित ‘सात सूत्रीय रणनीति’ किस प्रकार से उक्त लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगी? (250 शब्द)
29 Nov, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• भारतीय कृषि क्षेत्र में मौजूद संस्थागत एवं संरचनात्मक बाधाओं को बताना है।
• इसे दूर करने में ‘सात सूत्रीय रणनीति’ की भूमिका बतानी है।
हल करने का दृष्टिकोण
• प्रश्न के सभी आयामों को शामिल करते हुए भूमिका लिखिये।
• कृषि क्षेत्र में मौजूद संरचनात्मक एवं संस्थागत बाधाओं का उल्लेख कीजिये।
• सात सूत्रीय रणनीति एवं इसका मूल्यांकन कीजिये।
• निष्कर्ष लिखिये।
आर्थिक सर्वेक्षण 2018 के अनुसार, कृषि क्षेत्र में 50 प्रतिशत से ज़्यादा श्रमबल कार्यरत है तथा जीडीपी में इसका योगदान केवल 17 से 18 प्रतिशत है। इस स्थिति के लिये कृषि क्षेत्र में मौजूद संस्थागत एवं संरचनात्मक बाधाएँ ज़िम्मेदार हैं। इनके निवारण के लिये सरकार ने किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने के अपने महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में ‘सात सूत्रीय रणनीति’ जारी की है।
भारतीय कृषि क्षेत्र में मौजूद संस्थागत एवं संरचनात्मक बाधाएँ निम्नलिखित हैं:
- सिंचाई, उर्वरक एवं बीज की उपलब्धता में अनिश्चितता एवं अनियमितता, जिससे कृषि उपज प्रभावित होती है।
- जलवायु की अनियमितता से उत्पन्न जोखिम जिसके कारण कृषि उत्पादों का नुकसान होता है।
- ग्रामीण कृषि बाज़ार, शीत भंडारगृह एवं कृषि प्रसंस्करण के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे का अभाव जिसके कारण कृषि उपज का उचित मूल्य तथा उसमें संवर्द्धन नहीं हो पाता है।
- ज़्यादातर किसानों का लघु एवं सीमांत होना (लगभग 86 प्रतिशत), जिसके कारण बेहतर उत्पादकता के बावजूद उनकी मोलभाव की क्षमता सीमित होती है।
- कृषि क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की कमज़ोर स्थिति।
यद्यपि सरकार द्वारा उपर्युक्त बाधाओं को दूर करने की दिशा में कई प्रयास किये गए हैं, लेकिन इन प्रयासों की प्रभावशीलता को बढ़ाने तथा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के प्रयोजन को पूरा करने के लिये कृषि मंत्रालय ने सात सूत्रीय रणनीति का प्रारूप जारी किया है जो निम्नलिखित रूप में है:-
- सिंचाई दक्षता में सुधार लाकर उत्पादन में वृद्धि करना। हर खेत को पानी के उद्देश्य से ही 1 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री सिंचाई योजना शुरू की गई।
- निवेश लागत का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना। इसके लिये पहले से मृदा स्वास्थ्य कार्ड, नीम कोटेड यूरिया जैसी योजनाएँ चलाई गईं हैं।
- उत्पादन के पश्चात् होने वाले नुकसान को कम-से-कम करना। इसके लिये शीत भंडारगृहों की सुविधाओं में विस्तार तथा ग्रामीण भंडार एवं एकीकृत शीत शृंखला पर ध्यान दिया जा रहा है।
- उत्पादन की गुणवत्ता में वृद्धि के लिये सरकार खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से कृषि में गुणवत्ता को बढ़ावा दे रही है। इसके लिये प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना शुरू की गई है।
- विपणन (कृषि बाज़ार) में सुधार: इससे कृषि क्षेत्र में मौजूद विचौलियों को समाप्त किया जा सकता है। इसके लिये ई-नैम, राज्यों को जारी किया गया मॉडल एपीएमसी एक्ट जैसे प्रमुख सुधार किये गए हैं।
- जोखिम, सुरक्षा और सहायता: इसके लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की गई है। साथ ही सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से राहत पाने के लिये नियमों में भी बदलाव किया है।
- कृषि की सहायक गतिविधियों जैसे- बागवानी, डेयरी, पोल्ट्री आदि को प्रोत्साहित करना।
वस्तुत: सरकार द्वारा घोषित सात सूत्रीय रणनीति, कृषि क्षेत्र की संस्थागत एवं संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने के लिये शुरू की गई योजनाओं को एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करती है। फलत: यह किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगी।
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