भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने में मलिमथ समिति की सिफारिशें किस हद तक सहायक सिद्ध हो सकती हैं? (250 शब्द)
29 Nov, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
प्रश्न विच्छेद • कथन आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिये मलिमथ समिति की सिफारिशों की सीमा से संबंधित है। हल करने का दृष्टिकोण • भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली के विषय में संक्षिप्त उल्लेख के साथ परिचय लिखिये। • इसमें सुधार से जुड़ी मलिमथ समिति की सिफारिशों की सीमा का उल्लेख कीजिये। • आगे की राह के साथ उचित निष्कर्ष लिखिये। |
स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने दशकों बाद भी भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली (सीजेएस) की पारदर्शिता और जवाबदेहिता को प्रभावी रूप से सुनिश्चित करना शेष है। इस प्रणाली से जुड़ी खामियों को दूर करने के लिये ही केंद्र सरकार मलिमथ समिति की सिफारिशों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता महसूस कर रही है जो इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
यह समिति सीजेएस कानून लागू करने, न्यायिक निर्णय लेने एवं आपराधिक आचरण सुधारने से जुड़ी सरकार की एजेंसियों को संदर्भित करती है। यह पुलिस, न्यायालय व कारागार तीन घटकों से मिलकर बनी है जिन्हें अंतर्संबंधित, अंतर-निर्भरता एवं एकीकृत लक्ष्य को प्राप्त करने के तौर पर देखा जाता है। अपराधों की प्रकृति व स्थिति में परिवर्तन, संख्या में वृद्धि, अनावश्यक व अनुचित गिरफ्तारियाँ, आपराधिक मामलों का अत्यधिक लंबित होने, समन्वय की कमी, दोषसिद्धि की दर के अत्यधिक कम होने इत्यादि कारणों के चलते इसमें सुधार की आवश्यकता अनुभव की जा रही है।
सीजेएस में सुधार से जुड़ी मलिमथ समिति की सिफारिशें निम्नलिखित रूप में वर्णित हैं-
सीमाएँ:
सीजेएस में निहित खामियों के मद्देनज़र मलिमथ समिति की सिफारिशें काफी महत्तवपूर्ण हैं। समिति की सिफारिशों की सीमाओं को देखते हुए इन्हें देश की व्यावहारिक परिस्थितियों के अनुरूप संशोधित रूप में लागू किया जाना चाहिये।