'यही सच है’ कहानी की शिल्प-योजना पर प्रकाश डालिये।
23 Nov, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य‘यही सच है’ कहानी की शिल्प-योजना कुछ विशेष प्रयोगों के कारण अत्यंत चर्चित रही है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है- डायरी शैली का प्रयोग। नई कहानी की प्रयोगशील प्रवृत्तियों में एक यह भी थी कि डायरी के ढाँचे में कहानी लिखी गई। यह कहानी वस्तुत: दीपा की डायरी के कुछ पन्नों का संकलन मात्र है जो क्रमश: कानपुर, कलकत्ता और फिर कानपुर में लिखे गए हैं। इसलिये, स्वाभाविक तौर पर यह कहानी उत्तम पुरुष शैली में रचित है और प्रमुख चरित्र दीपा ‘मैं’ के रूप में उपस्थित है।
डायरी शैली का एक विशेष लाभ इसकी चरित्र योजना में दिखाई पड़ता है। चूँकि डायरी लिखते समय व्यक्ति पूरी ईमानदारी का परिचय देता है और बाह्य जीवन में नहीं कही जा सकने वाली बातें भी खुलकर लिखता है, इसलिये दीपा का चरित्र मनोविज्ञान की उन सूक्ष्मताओं को छू सका है जो शायद नई कहानी में भी दुर्लभ हैं। इसी साफगोई का परिणाम है कि कुछ पारंपरिक समीक्षक दीपा के चरित्र को नैतिक रूप से उचित नहीं मानते। डायरी शैली से एक समस्या यह उत्पन्न हुई कि एक चरित्र का पूरा सच उभर गया किंतु बाकी चरित्रों (निशीथ, संजय आदि) के वही पक्ष उभरे जो बाह्य जीवन में व्यक्त होते हैं।
चेतना प्रवाह शैली का सुंदर प्रयोग इस कहानी की अन्य विशेषताओं मे से एक है। दीपा की चेतना में उत्पन्न होते क्षणिक परिवर्तनों को दिखाने के लिये इससे बेहतर शैली हो भी नहीं सकती थी। उसका नीली साड़ी पहनने का प्रसंग और टैक्सी में बैठते समय उसकी मन:स्थिति, ये दोनों प्रसंग चेतना प्रवाह शैली की दृष्टि से अनूठे हैं।
जहाँ तक शेष शिल्पगत तत्त्वों का प्रश्न है, वे नई कहानी की प्रतिनिधि विशेषताओं से मिलते-जुलते हैं। इसकी भाषा सघन अनुभूति प्रधान भाषा है। घटनाओं और वर्णनों की कमी तथा चिंतन-मनन-विश्लेषण की अधिकता ने कथानक के विन्यास को तोड़ा है जो अन्य नई कहानियों की भी विशेषता है। चरित्र योजना की खासियत यह है कि दीपा के चेतन और अवचेतन मन में निरंतर चलने वाले द्वंद्व को इसमें उभारा गया है।