जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म कई मामलों में समरूपता दर्शाते हैं। इसके बावजूद जैन धर्म की तुलना में बौद्ध धर्म का प्रसार व्यापक स्तर पर हुआ, इसके क्या कारण रहे? विवेचना कीजिये। (150 शब्द)
15 Nov, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहास
प्रश्न विच्छेद • दोनों धर्मों के विद्यमान समानता को स्पष्ट कीजिये। • जैन धर्म की तुलना में बौद्ध धर्म के अत्यधिक प्रसार के कारणों को स्पष्ट कीजिये। हल करने का दृष्टिकोण • बौद्ध एवं जैन धर्म का संक्षेप में परिचय देते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिये। • दोनों ही धर्मों में विद्यमान समानता के तत्त्व बताइये। • जैन धर्म की तुलना में बौद्ध धर्म के व्यापक होने के कारणों को स्पष्ट कीजिये। • प्रभावी निष्कर्ष लिखिये। |
छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व में बौद्ध एवं जैन धर्म का उदय एक महत्त्वपूर्ण घटना थी, जिसका योगदान अविस्मरणीय रहा है। दोनों ही, धर्मों ने भारतीय सांस्कृतिक जीवन को काफी प्रभावित किया है। इन दोनों धर्मों में समानता के साथ-साथ असमानता के तत्त्व भी रहे हैं जिसके कारण जैन धर्म, बौद्ध धर्म की अपेक्षा ज़्यादा व्यापक रूप से प्रसारित नहीं हो सका। इसे हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं-
समानता के तत्त्व:
उपरोक्त समानता के बावजूद भारत में जैन धर्म का उतना व्यापक प्रसार नहीं हो पाया जितना की बौद्ध धर्म का हुआ तथा जैन धर्म कुछ ही भागों में सीमित होकर रह गया, इसके निम्नलिखित कारण हैं-
अत: उपरोक्त कारणों पर यदि गौर करें तो स्पष्ट होता है, कि बौद्ध धर्म जैन धर्म के सापेक्ष अधिक लचीला था जो सर्वसाधारण के लिये आसानी से अनुकरणीय था। साथ ही, बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में जनसाधारण के लिये सर्वसुलभ भाषा मगधी को अपनाया गया जिसके कारण भी इसकी लोकप्रियता में बढ़ोतरी हुई। तत्कालीन बदलती समाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ भी बौद्ध धर्म को लोकप्रिय बनाने में काफी महत्त्वपूर्ण रहीं। बावजूद इसके कि जैन धर्म का प्रसार बौद्ध धर्म की अपेक्षा कम रहा हो लेकिन भारतीय संस्कृति पर इसका योगदान अविस्मरणीय रहा है।