‘‘भूगोल को स्थान विषयक विज्ञान बनाने के प्रयासों ने मात्रात्मक क्रांति को जन्म दिया।’’ स्पष्ट कीजिये।
14 Nov, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स भूगोल
प्रश्न विच्छेद • मात्रात्मक क्रांति के विकास की चर्चा करें। हल करने का दृष्टिकोण • मात्रात्मक क्रांति का परिचय दें। • भूगोल को स्थान विषय विज्ञान बनाने के प्रयासों ने इसे किस प्रकार जन्म दिया? • इसके दोषों को उजागर करते हुए निष्कर्ष दें। |
भूगोल में सांख्यिकीय और गणितीय विधियों के प्रयोग को मात्रात्मक क्रांति कहते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् भूगोल के समक्ष अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया तथा हारवर्ड विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग को बंद कर दिया गया। ऐसी ही दशा में भूगोल को स्थान विषयक विज्ञान बनाने के प्रयासों ने मात्रात्मक क्रांति को जन्म दिया। भूगोल को सुदृढ़ सैद्धांतिक आधार पर स्थापित करने का प्रयास किया गया। अब भूगोलवेत्ताओं ने स्थानों व क्षेत्रों की सुव्यवस्थित संरचना संबंधी नियमों का मात्रा प्रधान तकनीकों से विश्लेषण पर ज़ोर दिया। उन्होंने मानव एवं वातावरण के मध्य संबंधों को परिशुद्ध बनाने तथा सामान्य अनुमान निर्धारण हेतु गणितीय मापकों की रचना की, जिससे वस्तुओं के वितरण, घनत्व एवं दूरियों की शुद्धता मापी जा सके।
भौगोलिक अध्ययन में स्थानिक संबंधों का विशेष महत्त्व होता है। सर्वप्रथम शेफर ने इसकी महत्ता को स्वीकार किया तथा विलियम बंगी ने इसे आगे बढ़ाया। उनके अनुसार भूगोल स्थानिक संबंधों एवं अंतर्संबंधों का विज्ञान है। भूगोल में सर्वप्रथम मात्रात्मक विधियों का प्रयोग भू-आकृति विज्ञान तथा जलवायु विज्ञान में किया गया। मात्रात्मक क्रांति से स्थान का घनिष्ठ संबंध है। स्थान विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य वस्तुओं के स्थानिक व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करना है। आर्थिक क्रियाओं से संबंधित विभिन्न अवस्थिति सिद्धांतों में स्थान मुख्य बिंदु होता है, जिसे मात्रात्मक क्रांति के प्रयोग ने अधिक वैज्ञानिक बना दिया। प्रादेशिक भूगोल में मात्रात्मक क्रांति के प्रयोग ने नगरीय एवं प्रादेशिक योजनाओं को मज़बूत सैद्धांतिक आधार प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल को स्थान विषयक विज्ञान बनाने के प्रयासों ने अनुभवाश्रित व वर्णनीय परंपरा को नकार कर उसे गणितीय एवं सांख्यिकीय आधार प्रदान किया।
यद्यपि मात्रात्मक क्रांति ने भूगोल को एक विषय के रूप में पुनर्स्थापित किया परंतु इसके कुछ दोष भी रहे-